फिर ना हो देवभूमि में केदारनाथ जैसी त्रासदी, मुख्यमंत्री ने ली समीक्षा बैठक

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फिर ना हो देवभूमि में केदारनाथ जैसी त्रासदी, मुख्यमंत्री ने ली समीक्षा बैठक

देहरादून : बुधवार देर शाम मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बीजापुर अतिथि गृह में निम व एसडीआरएफ के उच्चाधिकारियों के साथ केदारनाथ महोत्सव सहित आपदा से निपटने के लिए की जा रही तैयारियों की समीक्षा बैठक ली। बैठक में, मुख्यमंत्री रावत ने अधिकारियों से वहां हो रहे कार्यों की जानकारी ली। उन्होंने अधिकारियों को केदारनाथ के


फिर ना हो देवभूमि में केदारनाथ जैसी त्रासदी, मुख्यमंत्री ने ली समीक्षा बैठक

फिर ना हो देवभूमि में केदारनाथ जैसी त्रासदी, मुख्यमंत्री ने ली समीक्षा बैठकदेहरादून : बुधवार देर शाम मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बीजापुर अतिथि गृह में निम व एसडीआरएफ के उच्चाधिकारियों के साथ केदारनाथ महोत्सव सहित आपदा से निपटने के लिए की जा रही तैयारियों की समीक्षा बैठक ली। बैठक में, मुख्यमंत्री रावत ने अधिकारियों से वहां हो रहे कार्यों की जानकारी ली। उन्होंने अधिकारियों को केदारनाथ के कपाट खुलने तक वहां की व्यवस्थाओं को दुरूस्त करने को कहा।
मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि हमें भविष्य में आने वाली आपदाओं के लिये अभी से तैयार रहना चाहिए। एसडीआरएफ, निम की सहायता से एक ऐसी फोर्स तैयार करे जो भीषण आपदा जैसी परिस्थितियों में राहत कार्य के लिए हमेशा तैयार रहे। इन्हें स्पेशियलाईज टास्क के लिए तैयार किया जाए। उन्होने आदेश दिए कि एसडीआरएफ की बाकी की यूनिटों को भी जल्दी ही बना लिया जाए, साथ ही इसके लिये ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार किया जाए। जिस प्रकार गढ़वाल क्षेत्र के लिए जौलीग्रांट में कम्पनी हैडक्वार्टर बनाया जा रहा है, उसी तर्ज पर कुमाँयू क्षेत्र के लिए पंतनगर में एक कम्पनी हैडक्वार्टर तैयार किया जाए। इसके लिए आवश्यक भूमि की व्यवस्था की जाए। केदारनाथ में पुनर्निर्माण के कार्य में एसडीआरएफ सहित निम बेहद सराहनीय कार्य कर रहा है।

मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि जब कोई बड़ी आपदा आती है, जिसमें राष्ट्रीय स्तर से मदद की आवश्यकता होती है तो भी वहां से सहायता मिलने में 48 से 72 घंटे लग जाते हैं और दूर दराज तक तो 3 से 4 दिन लग जाते हैं। हमें इन 3-4 दिनों को अपने स्थानीय लोगों को ही इसके लिये एसडीआरएफ व अन्य तरीकों से आपदा से निपटने की ट्रेनिंग देकर तैयार करना चाहिए। इसके लिये दूरस्थ क्षेत्रों में इमरजेन्सी हैली पैड भी तैयार किये जाने चाहिए, ताकि वहां जल्द से जल्द मदद पहुंचाई जा सके। दूरस्थ क्षेत्रों में सड़कें पहुंचाने के लिये 1-2 किलोमीटर की सड़कों के निर्माण का जिम्मा जिला पंचायत को दे दिया जाए।

बैठक के दौरान बताया गया कि राज्य में आपदा से लड़ने के लिये स्थानीय लोगों को इस प्रकार की ट्रेनिंग दी जा रही है। इस प्रकार के आपदाओं के लिये जिलाधिकारियों को भी 20 लाख रूपये की राशि उपलब्ध कराई जा चुकी है, साथ ही 2013 में आई आपदा से प्रभावित क्षेत्रों के लिये हैवी मशीनें व उपकरण उपलब्ध कराये जा चुके हैं। यदि और कोई रिक्वायरमेंट आती है तो उसे भी तुरंत उपलब्ध करा दिया जायेगा।

बैठक में प्रधान मुख्य सचिव राकेश शर्मा, सचिव गृह गब्र्याल, सचिव वित्त अमित नेगी, शैलेश बगोली, पुलिस महानिदेशक बी.एस. सिद्धू, आई.जी. संजय गुंज्याल सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।

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