मोदी सरकार का इस फैसले से उत्तराखंड में महंगी होगी बिजली !

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मोदी सरकार का इस फैसले से उत्तराखंड में महंगी होगी बिजली !

केन्द्र सरकार के सौर ऊर्जा मिशन से ऊर्जा प्रदेश उत्तराखंड में बिजली महंगी हो सकती है। कार्बन उत्सर्जन कम करने के अभियान के तहत एनटीपीसी कोयले से बन रही बिजली को सौर ऊर्जा के साथ मिलाकर (बंडल्ड पावर) 85:15 के अनुपात में राज्यों को देने का मन बना चुका है। केन्द्र सरकार के इस कदम


केन्द्र सरकार के सौर ऊर्जा मिशन से ऊर्जा प्रदेश उत्तराखंड में बिजली महंगी हो सकती है। कार्बन उत्सर्जन कम करने के अभियान के तहत एनटीपीसी कोयले से बन रही बिजली को सौर ऊर्जा के साथ मिलाकर (बंडल्ड पावर) 85:15 के अनुपात में राज्यों को देने का मन बना चुका है। केन्द्र सरकार के इस कदम से उत्तराखंड में बिजली की कीमत 1.40 रुपये प्रति यूनिट की बजाय 3.50 रुपये प्रति यूनिट पड़ेगी।

केंद्र सरकार 2005 को आधार वर्ष मानते हुए 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में करीब 35 प्रतिशत की कमी करने का लक्ष्य हासिल करने का वादा संयुक्त राष्ट्र से कर चुकी है। इसी के तहत अगले सात साल में केंद्र सरकार ने सौर ऊर्जा का उत्पादन करीब 60 हजार मेगावाट करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। सौर ऊर्जा को थर्मल पावर (कोयला से उत्पन्न बिजली)के साथ मिलाकर राज्यों को देने का फैसला किया गया है। सौर ऊर्जा उत्पादन की कीमत करीब सात रुपये प्रति यूनिट आंकी जा रही है।

उत्तराखंड इस वक्त उत्तर प्रदेश में सिंगरोली थर्मल पावर प्लांट से 1.40 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली ले रहा है। सौर ऊर्जा और थर्मल पावर की औसत कीमत करीब 3.50 रुपये प्रति यूनिट आंकी जा रही है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के फरमान से उत्तराखंड के उद्यमी सकते में हैं। उद्यमियों का साफ कहना है कि इतनी महंगी बिजली से प्रदेश में उद्योगों को खासा नुकसान होगा और प्रदेश के उद्योगों की कमर ही टूट जाएगी। प्रदेश सरकार पहले ही पांच प्रतिशत सौर ऊर्जा का उपयोग करने का फैसला कर चुकी है। इस पर सिंगरोली की बंडल्ड पावर से उद्योगों को खासा झटका लगेगा।

प्रदेश में उद्यमियों की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि पीक आवर्स में ही बिजली की कमी हो रही है। ऐसे में सिंगरोली से सौर ऊर्जा अगर मिलेगी भी तो महंगी होने के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हो पाएगा। सौर ऊर्जा दिन में मिलेगी और इस समय हमारे पास बिजली होती है। बेहतर हो कि राज्य सरकार केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के सामने ढंग से पैरवी करे और यह आदेश वापस कराए।

बंडल्ड ऊर्जा का असर उद्योगों के अलावा सामान्य विद्युत उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा। विद्युत दरें तय करने का अधिकार विद्युत नियामक आयोग को है। लेकिन, बिजली महंगी होगी तो आखिरकार नियामक आयोग के सामने भी विकल्प सीमित रहेगा। ऐसे में घरेलू उपभोक्ताओं को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

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