खतरे की जद में टिहरी झील से सटे 17 गांव, लोगों के घरों में आई दरारें
टिहरी (उत्तराखंड पोस्ट) टिहरी झील के पास के 17 गांव खतरे की जद में आ गए हैं। यहां पर टिहरी झील से लगे इन गांवों में लोगों के घरों में दरारें आ गई हैं, जिसके बाद से इन गांवों के लोग दहशत में जीने को मजबूर हैं। ग्रामीणों की मानें तो वर्ष 2010 में टिहरी झील
टिहरी (उत्तराखंड पोस्ट) टिहरी झील के पास के 17 गांव खतरे की जद में आ गए हैं। यहां पर टिहरी झील से लगे इन गांवों में लोगों के घरों में दरारें आ गई हैं, जिसके बाद से इन गांवों के लोग दहशत में जीने को मजबूर हैं। ग्रामीणों की मानें तो वर्ष 2010 में टिहरी झील से लगे इन 17 गांवों में सर्वे के बाद ये फैसला हुआ था कि इन गाांवों के लोगों को दूसरी जगह पर बसाया जाएगा लेकिन शासन-प्रशासन ने कुछ नहीं किया, जिसके बाद से ही वे हर दिन डर के साये में जीने को मजबूर हैं।
बता दें झील से सटे इन गावों में जमीन दरक रही है। इसके मकानों में दरारे आ रही है। झील बनने के बाद उसके आसपास के गांवों में भूस्खलन और मकानों में दरारें आने के चलते वर्ष 2010 में शासन ने कई विभागों को मिलाकर संयुक्त विशेषज्ञ समिति का गठन किया था।
इस समिति में पुनर्वास, टीएचडीसी, आइआइटी रुड़की, वाडिया संस्थान, मिट्टी एवं जल संरक्षण विभाग, खनन, सर्वे ऑफ इंडिया, और वन विभाग के अधिकारियों को मिलाकर समिति बनाई गई थी। हर छह माह में समिति ने झील प्रभावित गांवों का दौरा करना था और शासन को उसकी रिपोर्ट देनी थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में 17 गांवों को झील से खतरे की बात बताई थी और शासन को रिपोर्ट दी थी। इसके बावजूद अभी तक एक भी गांव का विस्थापन नहीं किया जा सका है। विस्थापन न होने के कारण इन गांवों में मकानों में दरारें पड़ने से ग्रामीणों को खतरे में साये में जीना पड़ रहा है। वहीं जमीन में भी भूधंसाव की समस्या आ रही है।
अब झील का जलस्तर 825 मीटर से बढ़ाकर 830 मीटर तक करने के लिए सरकार ने टीएचडीसी को अनुमति दे दी है। जिसके बाद इन गांवों में स्थिति और विकट हो गई है। दिन में तो किसी तरह ग्रामीण रह लेते हैं, लेकिन रात में हल्की सी आहट से ही उनकी नींद उड़ जाती है। पुनर्वास विभाग के अधिशासी अभियंता सुबोध मैठाणी के अनुसार जलस्तर बढ़ने से अगर गांवों में खतरा होगा तो उस पर निरागनी रखी जा रही है। अगर स्थिति खराब होती है तो उसके लिए टीएचडीसी से वार्ता की जाएगी। टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने से नंदगांव, कंगसाली, नौताड़, रामगांव, बटोला, पयाल गांव, स्यांसू, उप्पू, सरोट, डोबन, रमोल गांव, खांड, बड़ाखोली, नारगढ़, भटकंडा, गडोली, सांदणा, लुणेटा, भटकंडा, खांड गांव पर खतरा मंडरा रहा है।
Follow us on twitter – https://twitter.com/uttarakhandpost
Like our Facebook Page – https://www.facebook.com/Uttrakhandpost/
पर हमसे जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे , साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार ) के अपडेट के लिए हमे गूगल न्यूज़ पर फॉलो करे