7 साल में वीरान हुए 734 गांव, सामने आई पलायन की मुख्य वजह

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7 साल में वीरान हुए 734 गांव, सामने आई पलायन की मुख्य वजह

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) ग्राम विकास एवं पलायन आयोग ने अपनी प्रथम अंतरिम रिपोर्ट शनिवार को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को सौंपी, इस रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। आयोग की टीम ने सभी जिलों का दौरा करके लोगों से ग्राम्य विकास एवं पलायन के विभिन्न पहलुओं पर परामर्श किया। इस रिपोर्ट के अनुसार पिछले


देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) ग्राम विकास एवं पलायन आयोग ने अपनी प्रथम अंतरिम रिपोर्ट शनिवार को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को सौंपी, इस रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। आयोग की टीम ने सभी जिलों का दौरा करके लोगों से ग्राम्य विकास एवं पलायन के विभिन्न पहलुओं पर परामर्श किया।

इस रिपोर्ट के अनुसार पिछले दस सालों में वर्षों में 6338 ग्राम पंचायतों में 3 लाख 83 हजार 726 व्यक्ति अस्थाई रूप से पलायन कर चुके हैं। यह लोग घर में आते-जाते रहते हैं, लेकिन अस्थाई रूप से रोजगार के लिए बाहर रहते हैं। ठीक इसी अवधि में 3946 ग्राम पंचायतों से 1 लाख 18 हजार 981 लोग स्थाई रूप से पलायन कर चुके हैं।

रिपोर्ट के अनुसार ग्राम पंचायतों से 50 फीसद लोगों ने आजीविका एवं रोजगार की समस्या, 15 फीसद ने शिक्षा की सुविधा और 8 फीसद ने चिकित्सा सुविधा के अभाव के कारण पलायन किया है। ग्राम पंचायतों से पलायन करने वालों की आयु 26 से 35 वर्ष के वर्ग में 42 फीसद है। 35 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में 29 फीसद है। जबकि 25 वर्ष से कम आयु वर्ग में 28 फीसद है।

वहीं ग्राम पंचायतों से 70 फीसद लोग प्रभावित होकर राज्य के अन्य स्थानों पर गए हैं। साथ ही 29 फीसद राज्य से बाहर और एक फीसद देश से बाहर गए हैं। राज्य में लगभग 734 राजस्व ग्राम, तोक, मजरा 2011 की जनगणना के बाद गैर आबाद हो गए हैं इनमें से 14 अंतर्राष्ट्रीय सीमा से हवाई दूरी से पांच किमी के भीतर हैं।

रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि राज्य में 850 ऐसे गांव हैं जहां पिछले 10 वर्षों में अन्य गांव, शहर, कस्बों से पलायन कर उस गांव में आकर लोग बसे हैं। राज्य में 565 ऐसे राजस्व गांव, तोक, मजरा हैं जिनकी आबादी 2011 के बाद 50 फीसद घटी है और इनमें से छह गांव अंतर्राष्ट्रीय सीमा से हवाई दूरी की 5 किलोमीटर के भीतर है।

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