नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे बागी

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नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे बागी

नैनीताल हाईकोर्ट से राहत ना मिलने के बाद बागी कांग्रेसियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बागियों ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है और उनकी याचिका पर दोपहर दो बजे सुनवाई होगी। बागियों को शायद इस बात का अंदंजा था कि उनको हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलेगी इसलिए


नैनीताल हाईकोर्ट से राहत ना मिलने के बाद बागी कांग्रेसियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बागियों ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है और उनकी याचिका पर दोपहर दो बजे सुनवाई होगी। बागियों को शायद इस बात का अंदंजा था कि उनको हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलेगी इसलिए उनके वकीलों ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की तैयारी कर ली थी। वहीं विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल जी ने सुप्रीम कोर्ट में पहले ही कैविएट दाखिल की हुई है, जिसका मतलब है कि उनका पक्ष सुने बिना इस पर कोई भी फैसला ना लिया जाए।

इससे पहले आज सुबह सवा दस बजे नैनीताल हाईकोर्ट ने कांग्रेस के बागी विधायकों को करारा झटका देते हुए उनकी विधानसभा अध्यक्ष के सदस्यता समाप्त करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। जिसके बाद अब बागी विधायक 10 मई को उत्तराखंड विधानसभा में होने वाली शक्ति परीक्षण में वोट नहीं कर पाएंगे।

गौरतलब है कि उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने बागी विधायकों को दल बदल निरोधी कानून के तहत नोटिस जारी किया था और उनके जवाब से संतुष्ट ना होने पर इनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी थी, जिसे बागियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

अब क्या होगा ?

बागी विधायकों को हाईकोर्ट से झटका लगने के बाद 70 सीटों वाली उत्तराखंड विधानसभा में 61 सदस्यों के आधार पर वोटिंग होगी, जिससे बहुमत का आंकड़ा 32 हो जाएगा। इस वक्त कांग्रेस के 27 विधायक हैं और बीजेपी के पास 28 विधायक, जबकि 6 विधायक पीडीएफ (3 निर्दलीय, 2 बसपा, 1 यूकेडी) के हैं। जिन पर सारा दारोमदार है। अभी तक की स्थिति के हिसाब से देखें तो पीडीएफ ऐलान कर चुका है कि वो हरीश रावत के साथ है। वहीं बीजेपी के एक विधायक भीमलाल आर्य भी हरीश रावत के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। एक दिन में कुछ बहुत बड़ी राजनीतिक ऊठापटक नहीं हुई तो इस स्थिति में कांग्रेस के 27 और पीडीएफ के 6 विधायक मिलाकर ये संख्या 33 हो जाती है, जो बहुमत (32) के आंकड़े से ज्यादा है। मतलब इस स्थिति में हरीश रावत आसानी से विश्वास मत हासिल कर सकते हैं।

इन नौ बागी विधायकों को लगा झटका

विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत, अमृता रावत, प्रदीप बतरा, प्रणव सिंह, शैला रानी रावत, शैलेंद्र मोहन सिंघल, सुबोध उनियाल और उमेश शर्मा

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