आशीष तिवारी की कलम से समझिए- त्रिवेंद्र के भ्रष्टाचार के खिलाफ धर्मयुद्ध के मायने

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आशीष तिवारी की कलम से समझिए- त्रिवेंद्र के भ्रष्टाचार के खिलाफ धर्मयुद्ध के मायने

आशीष तिवारी | उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का ऐलान कर दिया है। मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया है कि राज्य में भ्रष्टाचार को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम को बताते वक्त बार बार इसे


आशीष तिवारी की कलम से समझिए- त्रिवेंद्र के भ्रष्टाचार के खिलाफ धर्मयुद्ध के मायने

आशीष तिवारी | उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का ऐलान कर दिया है। मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया है कि राज्य में भ्रष्टाचार को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम को बताते वक्त बार बार इसे ‘धर्मयुद्ध’ की संज्ञा दे रहें हैं। एक दिन में त्रिवेंद्र रावत ने दो बार सार्वजिनक रूप से इसे धर्मयुद्ध की संज्ञा दी। पहली बार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने बीजेपी मुख्यालय में आयोजित सम्मान समारोह में इस शब्द का प्रयोग किया। इसके बाद उन्होंने शाम को एनएच निर्माण में मुआवजे घोटाले की सीबीआई जांच का ऐलान करते वक्त अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात का जिक्र किया। प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि महाभारत में अर्जुन ने अपने भाइयों के खिलाफ धर्मयुद्ध लड़ा था और मैं भी भ्रष्टाचार के खिलाफ धर्मयुद्ध लड़ूंगा।

आशीष तिवारी की कलम से समझिए- त्रिवेंद्र के भ्रष्टाचार के खिलाफ धर्मयुद्ध के मायने

सीएम त्रिवेंद्र रावत का ये बयान कई नए सवालों को खड़ा करता है। सीएम रावत ने जिस एनएच निर्माण में मुआवजा बांटने में हुए घोटाले की जांच के समय ये बातें कहीं उसकी शुरुआती तार 2012 तक जातें हैं। ये वही दौर था जब विजय बहुगुणा बतौर सीएम थे। इसी समय ऊधम सिंह नगर के कद्दावर नेता यशपाल आर्य भी कैबिनेट में मौजूद थे। ये दोनों ही नेता कांग्रेस छोड़कर अब बीजेपी में आ चुके हैं और दोनों ही अहम जिम्मेदारियां संभाल रहें हैं। विजय बहुगुणा राष्ट्रीय कार्यकारिणी में हैं तो यशपाल आर्या फिर से त्रिवेंद्र कैबिनेट में मंत्री हैं।

आशीष तिवारी की कलम से समझिए- त्रिवेंद्र के भ्रष्टाचार के खिलाफ धर्मयुद्ध के मायने

सूत्र बताते हैं कि विजय बहुगुणा के शासनकाल में ही इस घोटाले की नींव रखी जा चुकी थी। इस इलाके में यशपाल आर्या अच्छी धमक रखते हैं और ज्यादातर अधिकारियों की तैनाती में उनकी मर्जी को ध्यान में रखा जाता था। सीएम रावत ने इस मामले में कुल 7 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं। छह अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है जबकि एक सेवानिवृत्त हो चुके हैं। ऐसे में चर्चाएं हैं कि कहीं सीबीआई जांच की आंच विजय बहुगुणा और यशपाल आर्या तक तो नहीं पहुंच रही। सूत्र बताते हैं कि 2012 से लेकर अब तक तकरीबन पांच दर्जन से अधिक अधिकारी इस खेल में शामिल रहें हैं। इनमें से कई विजय बहुगुणा और यशपाल आर्या के चहेते रहें हैं।

इस पूरे मामले में शुरुआती जांच हरीश रावत ने बैठाई थी हालांकि जांच की रिपोर्ट आने के पहले ही वो सत्ता से बाहर हो गए। कुमाऊं कमिश्नर सैंथिल पांडियन ने त्रिवेंद्र रावत के सत्ता संभालने से पहले ही इस बात का खुलासा कर दिया था कि मुआवजा बांटने में घोटाला हुआ है। अब ऐसे में सवाल ये उठ रहें हैं कि कहीं त्रिवेंद्र रावत को इस बात का एहसास तो नहीं कि इस खेल में कई ऐसे लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हों जो उनके ही आसपास मौजूद हों और यही वजह हो कि उन्होंने सीबीआई को मामला सौंपते समय ही खुद के अर्जुन होने का एहसास करा दिया हो।

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