युद्ध के समय चीन को सबक सिखाने में अहम भूमिका निभाएगी ‘ऑल वेदर रोड’

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युद्ध के समय चीन को सबक सिखाने में अहम भूमिका निभाएगी ‘ऑल वेदर रोड’

देहरादून [उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो] चीन के साथ डोकलाम में करीब दो महीने तक चले तनाव के बाद भारत ने चीन से सटी अपनी सीमा की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। इसी फेहरिस्त में भारत ने उत्तराखंड से सटी चीन की सीमा में युद्ध की स्थिति में तुरंत हथियार


देहरादून [उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो] चीन के साथ डोकलाम में करीब दो महीने तक चले तनाव के बाद भारत ने चीन से सटी अपनी सीमा की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। इसी फेहरिस्त में भारत ने उत्तराखंड से सटी चीन की सीमा में युद्ध की स्थिति में तुरंत हथियार व राहत सामग्री पहुंचाने के लिए सड़क निर्माण कार्य शुरू कर दिया है।

उत्तराखंड के टनकपुर और पिथौरागढ़ पर बनने वाली यह सड़क 150 किलोमीटर लंबी होगी। इस परियोजना का नाम ‘ऑल वेदर रोड’ परियोजना रखा गया है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के पूर्ण होने के लिए 2019 की समय सीमा तय की गई है। टनकपुर से पिथौरागढ ”ऑल वेदर रोड’ परियोजना की लागत करीब 1065 करोड़ रुपये है और इसमें इस मार्ग पर पडने वाले तीन बाई पास की लागत शामिल नहीं है।

‘ऑल वेदर रोड’ परियोजना से जुडे़ अधिकारियों का कहना है कि के इस भाग के पूरा होने से आपातकाल की स्थिति में टनकपुर रेलहेड से भारत—चीन सीमा पर आखिरी चौकी तक सेना और उनकी युद्ध सामग्री का पहुंचना काफी आसान हो जाएगा।

इस परियोजना की निर्माण एजेंसी एनएच—125 के अधिशासी अभियंता एलडी मथेला ने कहा, ”ऑल वेदर रोड’ परियोजना को तय समयसीमा वर्ष 2019 तक पूरा करने के लिए टनकपुर से पिथौरागढ़ तक के 150 किलोमीटर के मार्ग का निर्माण युद्धस्तर पर किया जा रहा है। इस समयसीमा तक आसानी से काम पूरा होने की संभावना है क्योंकि इस मार्ग में कोई ओवरब्रिज या सुरंग नहीं है।’

इस संबंध में उन्होंने स्पष्ट किया कि गढवाल क्षेत्र के विपरीत कुमांऊ में मिटटी की प्रकृति और परियोजना की लागत ओवरब्रिज और सुरंग बनाने के अनुकूल नहीं है। उन्होंने कहा, ‘इस मार्ग पर बिना चटटान वाले पहाडी हिस्से की अनुपलब्धता के कारण भी यहां कोई सुरंग या ओवरबिज नहीं बनाया जा रहा है।’

अधिशासी अभियंता ने बताया कि सडक निर्माण के लिये चार कंपनियों को काम दिया गया है और ‘ऑल वेदर रोड’  के निर्माण में इनके अनुभवों को बारीकी से परीक्षण करने के बाद इन चारों कंपनियों का चयन किया गया है। चंपावत जिले के लोहाघाट में स्थित एनएच—125 कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि वर्ष 2019 तक 12 मीटर चौडी सड़क बनायी जायेगी।

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माथेला ने बताया कि इस सडक के निर्माण के लिए 7000 वृक्षों को काटा जायेगा। इस सड़क के लिए 60 हेक्टेअर जमीन ली गई है। इस मार्ग के बनने के बाद आपातस्थितियों में पिथौरागढ़ शहर में ‘ऑल वेदर रोड’ के मुहाने से 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भारत—चीन सीमा पर चौकियों तक सैन्य बलों और य़ुद्ध सामग्री का पहुंचना आसान हो जायेगा।

इस महत्वाकांक्षी परियोजना का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल की शुरूआत में हुए विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पिछले साल दिसंबर में किया था। इस परियोजना से साल भर गढवाल हिमालय के चारों धामों तक पहुंचने में सहूलियत होने के अलावा स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे और पर्यटन को भी बढावा मिलेगा। (उत्तराखंड पोस्ट के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं, आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं)

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