आतंकियों के सामने ‘दुर्गा’ बनी आर्मी अफसरों की बहादुर पत्नियां

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आतंकियों के सामने ‘दुर्गा’ बनी आर्मी अफसरों की बहादुर पत्नियां

जम्मू के नजदीक नगरोटा में मंगलवार को आतंकियों से एनकाउंटर के दरौन दो सैन्य अफसर जिनका परिवार वहां के क्वार्टर में रहता था उनकी बहादुर पत्नियों की समझदारी के चलते बहुत बड़े बंधक संकट को टालने में मदद मिली। जैसे ही हथियारों से लैस पुलिस की वर्दी में आतंकियों ने 16 हेडकॉर्प्स से करीब तीन


जम्मू के नजदीक नगरोटा में मंगलवार को आतंकियों से एनकाउंटर के दरौन दो सैन्य अफसर जिनका परिवार वहां के क्वार्टर में रहता था उनकी बहादुर पत्नियों की समझदारी के चलते बहुत बड़े बंधक संकट को टालने में मदद मिली।

जैसे ही हथियारों से लैस पुलिस की वर्दी में आतंकियों ने 16 हेडकॉर्प्स से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर बनी आर्मी यूनिट में प्रवेश किया, उसके बाद आतंकी सबसे पहले वहां फैमिली हेडक्वार्टर में घुसना चाहते थे। ताकि, वह वहां पर सैनिकों और अपसरों के परिवारों को बंधक बना सके। हालांकि, अपने दो नवजात बच्चों को लेकर रह रही दो सैन्य अफसरों की पत्नियों के चलते वह अपने इस नापाक मंसूबों में कामयाब नहीं रह पाए। अगर वह अपने प्लान में कामयाब रहते तो बड़ी क्षति हो सकती थी।

एक आर्मी अफसर ने बताया, ‘दो आर्मी अफसरों की पत्नियों ने साहस दिखाते हुए घर के कुछ सामानों की मदद से अपने क्वार्टर की एंट्री को ब्लॉक कर दिया, जिससे आतंकवादियों के लिए घर में दाखिल होना मुश्किल हो गया।’ अफसर ने बताया, ‘अगर इन महिलाओं ने मुस्तैदी न दिखाई होती, तो आतंकवादी उन्हें बंधक बनाने में सफल हो जाते और सेना को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते थे।’

सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष मेहता ने कहा, ‘आतंकवादी दो बिल्डिंग्स में घुसे जिसमें सैनिकों के परिवार रहते हैं। इससे ‘बंधक सकंट’ जैसे हालात बन गए। इसके बाद सेना ने फौरन कार्रवाई करते हुए वहां से 12 सैनिकों, दो महिलाओं और दो बच्चों को सफलतापूर्वक बाहर निकाल लिया।’ अधिकारी ने बताया कि जिन दो बच्चों को बचाया गया है उनकी उम्र महज 18 महीने और दो महीने की है।

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