बड़ी ख़बर | उत्तराखंड में 343 किस्म की दवाओं को बेचने पर लगी रोक

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बड़ी ख़बर | उत्तराखंड में 343 किस्म की दवाओं को बेचने पर लगी रोक

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) उत्तराखंड में 343 किस्म की दवाओं को बेचने पर रोक लगा दी गई है। ये वो दवाइयां हैं जिनको केंद्रीय ड्रग्स नियंत्रण संगठन ने नशीला पदार्थ माना है। इसके साथ ही कोर्ट ने धारा 77 बाल किशोर न्याय अधिनियम 2015 का दायरा बढाते हुए नशीले पदार्थ की श्रेणी में थिनर, व्हाइटनर,


देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) उत्तराखंड में 343 किस्म की दवाओं को बेचने पर रोक लगा दी गई है। ये वो दवाइयां हैं जिनको केंद्रीय ड्रग्स नियंत्रण संगठन ने नशीला पदार्थ माना है। इसके साथ ही कोर्ट ने धारा 77 बाल किशोर न्याय अधिनियम 2015 का दायरा बढाते हुए नशीले पदार्थ की श्रेणी में थिनर, व्हाइटनर, सुलोचन आदि को भी शामिल कर दिया गया है।

राज्य के युवाओं के नशे की गिरफ्त में आने के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए रामनगर की श्वेता मासीवाल ने एक जनहित याचिका दायर की। जिसपर सुनवार्इ करते हुए कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने सरकार को आदेश दिया है कि तस्करों की पहचान के लिए सभी विभागों के तालमेल से विशेष सेल का गठन किया जाए।

कोर्ट ने कहा कि 18 साल के बच्चों को नशीला पदार्थ बेचने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाएं। साथ ही कहा है कि राज्य के सभी स्कूल कालेज शिक्षण संस्थानों में नशा अन्मूलन क्लब का गठन करें। चार हफ्तों के भीतर नार्कोटिस ड्रग्स के लिए नियम बनाने के आदेश दिये हैं।

वहीं कोर्ट ने राष्ट्रीय नार्कोटिक्स कंट्रोल पॉलिसी के सभी प्रावधानों को अमल में लाने को भी कहा है। कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा है कि इसके लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सचिव को नोडल अधिकारी रहेंगे। खंडपीठ ने निदेशक जेल को आदेश दिया है कि जो भी कैदी जेल में लाया जाता है, उसका नार्कोटिक्स परीक्षण किया जाए। अगर किसी कैदी में ऐसे लक्षण पाए जाते हैं तो उसका नशामुक्ति केन्द्र में इलाज कराया जाए। कोर्ट ने जेल के कैदियों का भी समय-समय पर परीक्षण कराने के आदेश दिए हैं। इस याचिका में राज्य के विवि को भी पक्षकार बनाया गया था।

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