मोदी सरकार ने दी किसानों को बड़ी राहत, अब इन किसानों के लिए बीमा कराना जरूरी नहीं
नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) केंद्रीय कैबिनेट ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में एक अहम बदलाव करने पर मुहर लगा दी है। सरकार ने योजना को अब स्वैच्छिक बनाने का फैसला किया है। अब ये किसान पर निर्भर करेगा कि वो बीमा योजना के दायरे में आना चाहता है या नहीं। कैबिनेट का फैसला इस साल
नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) केंद्रीय कैबिनेट ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में एक अहम बदलाव करने पर मुहर लगा दी है। सरकार ने योजना को अब स्वैच्छिक बनाने का फैसला किया है। अब ये किसान पर निर्भर करेगा कि वो बीमा योजना के दायरे में आना चाहता है या नहीं।
कैबिनेट का फैसला इस साल अप्रैल-मई में शुरू होने वाली खरीफ फसल सीजन से प्रभावी हो जाएगा। अभी तक के नियम के मुताबिक अगर कोई किसान, किसान क्रेडिट कार्ड के तहत अपने फसलों के लिए कोई लोन लेता है तो उसके साथ उसे फसलों का बीमा करवाना अनिवार्य होता है। लेकिन, इस नियम को लेकर किसानों की ओर से पहले से ही शिकायतें आती रहती हैं।
उनका कहना रहा है कि बैंक और बीमा कंपनियां उनको बिना बताए बीमा की रकम ले लेती हैं जबकि वो बीमा करवाना नहीं चाहते। इनमें उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों के किसान शामिल हैं। मोदी सरकार ने इसी शिकायत को दूर करने की पहल की है। लोन नहीं लेने वाले किसानों के लिए योजना पहले से ही स्वैच्छिक या वैकल्पिक है।
कैबिनेट ने इस योजना में कई अन्य बदलावों को भी मंजूरी दी है। एक अहम फैसले में ये तय किया गया है कि अब कोई भी राज्य सरकार बीमा कंपनी से तीन साल से कम का करार नहीं कर सकेंगी। अभी के नियम के मुताबिक बीमा कंपनियों के साथ 3 साल तक का करार हो सकता है। इसका असर होता है कि बीमा कंपनियां अपना ढ़ांचा ठीक से खड़ा नहीं करतीं और किसानों को मुआवज़ा मिलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा अब उत्तर पूर्वी राज्यों में योजना के लिए केंद्र और राज्य का हिस्सा 90:10 के अनुपात में होगा जो अभी तक 50 : 50 होता था।
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