जानिए क्यों मुश्किल है भाजपा के लिए गंगोत्री से सत्ता की गंगा ?

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जानिए क्यों मुश्किल है भाजपा के लिए गंगोत्री से सत्ता की गंगा ?

उत्तराखंड में सत्ता का रास्ता गंगोत्री विधानसभा से होकर जाता है। मान्यता है कि गंगोत्री विधानसभा सीट पर जिस पार्टी की विधायक चुना जाता है, उस पार्टी की ही सरकार राज्य में बनती है। ऐसे में इस सीट पर जीत के लिए राजनीतिक दल कोई कसर नहीं छोड़ते। अब ख़बरें एक क्लिक पर इस लिंक पर


उत्तराखंड में सत्ता का रास्ता गंगोत्री विधानसभा से होकर जाता है। मान्यता है कि गंगोत्री विधानसभा सीट पर जिस पार्टी की विधायक चुना जाता है, उस पार्टी की ही सरकार राज्य में बनती है। ऐसे में इस सीट पर जीत के लिए राजनीतिक दल कोई कसर नहीं छोड़ते। अब ख़बरें एक क्लिक पर इस लिंक पर क्लिक कर Download करें Mobile App –https://play.google.com/store/apps/details?id=app.uttarakhandpost

राज्य में सत्ता परिवर्तन का दावा कर रही भाजपा ने गंगोत्री को जीतने के लिए इस बार इस सीट से 2007 में विधायक चुने गए गोपाल सिंह रावत को अपनी उम्मीदवार बनाया है तो कांग्रेस ने मौजूदा विधायक विजय पाल सिंह सजवाण पर ही भरोसा जताया है।

जानिए क्यों मुश्किल है भाजपा के लिए गंगोत्री से सत्ता की गंगा ?

गंगोत्री से सत्ता की गंगा इस बार किसका बेड़ा पार लगाएगी ये तो गंगोत्री की जनता को ही तय करना है लेकिन गंगोत्री सीट का मौजूदा गणित भाजपा के माथे पर चिंता की लकीरें लाने के लिए काफी है। इस सीट से टिकट न मिलने पर भाजपा के सूरत राम नौटियाल निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोक रहे हैं। हालांकि भाजपा ने नौटियाल को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित तो कर दिया है। लेकिन निष्कासन से भाजपा की मुश्किलें आसान नहीं होने वाली।

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गंगोत्री विधानसभा का 2012 का गणित | गंगोत्री सीट के पिछले चुनाव नतीजों पर नजर डालें तो कांग्रेस के मौजूदा विधायक विजय पाल सिंह सजवाण ने 20246 (40.13 फीसदी) वोट हासिल किए थे जबकि भाजपा के गोपाल सिंह रावत (इस बार भी भाजपा के उम्मीदवार) को महज 13223 (26.21 फीसदी) वोट मिले थे। सजवाण ने इस मुकाबले में भाजपा के रावत को 7023 मतों से मात दी थी। खास बात ये है कि गंगोत्री सीट पर 2012 में दो निर्दलीय उम्मीदवारों ने मिलकर 12031 वोट हासिल किए थे, जो कि भाजपा के गोपाल सिंह रावत से महज 1192 वोट ही कम थे।

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बागी सूरत राम नौटियाल बढ़ाएंगे भाजपा की मुश्किल | गंगोत्री सीट पर भाजपा के सूरत राम नौटियाल अगर खुद नहीं भी जीते तो भी भाजपा के गोपाल सिंह रावत के वोट काट कर उनकी जीत की संभावनाओं को कम कर सकते हैं।

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बहरहाल गंगोत्री से सत्ता की गंगा में इस बार कौन स्नान करेगा इसका फैसला गंगोत्री विधानसभा की जनता को करना है। 15 फरवरी को जनता इसका फैसला करेगी और 11 मार्च को चुनावी नतीजे के साथ जनता का फैसला सामने आ जाएगा। नजरें इस बार भी गंगोत्री सीट के नतीजों पर सबसे पहले रहेगी इसलिए कि क्या इस बार भी गंगोत्री का मिथक बरकरार रहेगा।

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