राज्यपाल कोश्यारी की ये चिट्ठी बनी महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का आधार, पढ़िए

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राज्यपाल कोश्यारी की ये चिट्ठी बनी महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का आधार, पढ़िए

नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए 12 नवंबर को गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेजी थी. यह रिपोर्ट राष्ट्रपति को संबोधित करके भेजी गई थी. भगत सिंह कोशियारी की रिपोर्ट में लिखा हुआ है कि, आदरणीय राष्ट्रपति जी संविधान के आर्टिकल 172 के क्लॉज 1 के


राज्यपाल कोश्यारी की ये चिट्ठी बनी महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का आधार, पढ़िए

नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए 12 नवंबर को गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेजी थी. यह रिपोर्ट राष्ट्रपति को संबोधित करके भेजी गई थी. भगत सिंह कोशियारी की  रिपोर्ट में लिखा हुआ है कि, आदरणीय राष्ट्रपति जी संविधान के आर्टिकल 172 के क्लॉज 1 के मुताबिक महाराष्ट्र की विधानसभा गठित करने का समय 21 अक्टूबर 2014 के मुताबिक 9 नवंबर 2019 खत्म हो रहा था और उसी दिन पुरानी विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा था.

इस परिपेक्ष में मेरे कार्यालय ने अधिसूचना जारी की थी. अधिसूचना 27 सितंबर 2019 को जारी की गई. जिससे नई विधानसभा के गठन के लिए विधानसभा चुनाव हो सके. 24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे. 25 अक्टूबर को इलेक्शन कमीशन ने उसका नोटिफिकेशन जारी किया.

चुनाव नतीजों के मुताबिक 105 सीटें भारतीय जनता पार्टी को मिली. 56 सीटें शिवसेना को मिली. 54 सीटें एनसीपी को मिली. 44 सीटें कांग्रेस को मिली. 13 निर्दलीय विधायक जीते. 16 अन्य दलों विधायक जीत कर आए. सावधानी से विचार करने पर यह पाया गया कि कोई भी दल बहुमत का आंकड़ा 145 सीटें हासिल करने में नाकाम रहा है.

राज्यपाल कोश्यारी की ये चिट्ठी बनी महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का आधार, पढ़िए

9 नवंबर की शाम तक बीजेपी शिवसेना के एलाइंस और अन्य दलों को अलग-अलग सरकार बनाने का दावा पेश करना था. चुनाव से पहले गठबंधन के तौर पर बीजेपी शिवसेना को 161 सीटें मिली थी. भगत सिंह कोश्यारी ने बताया कि इस दौरान अलग-अलग पार्टियों के नेता मुझसे निजी रूप से मिले. उन्होंने राज्य में भारी बारिश से किसानों की फसल को हुए नुकसान के लिए राहत देने वाले कदम उठाने की गुजारिश की.

चुनाव नतीजे आने के बाद 13 दिन बीत चुके थे और किसी भी दल ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया था. 8 नवंबर को मैंने अटॉर्नी जनरल से इस बारे में कानूनी राय मशवरा लिया. उसी शाम 4:00 बजे देवेंद्र फडणवीस ने अपना इस्तीफा मुझे भेजा. सरकार की अनुपस्थिति नहीं रहे इसलिए मैंने देवेंद्र फडणवीस को अगली व्यवस्था होने तक मुख्यमंत्री बने रहने के आदेश दिए.

9 नवंबर को मैंने देवेंद्र फडणवीस को सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा पेस करने के लिए कहा और उसके लिए 11 नवंबर शाम 8:00 बजे तक बहुमत के आंकड़े से संतुष्ट करने की समय सीमा दी. 10 नवंबर को दोपहर 2:00 बजे देवेंद्र फडणवीस की ओर से मुझे एक चिट्ठी मिली और जिसमें कहा गया कि वह अभी सरकार बनाने में सक्षम नहीं है. इसलिए 1 दिन का और समय दिया जाए. 10 नवंबर को रात 8:00 बजे देवेंद्र फडणवीस ने सरकार बनाने में सक्षम नहीं होने की बात कही.

10 नवंबर की शाम को दूसरे सबसे बड़े दल शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने के लिए इच्छा जाहिर करने और बहुमत के आंकड़े से मुझे संतुष्ट करने के लिए कहा और उन्हें 11 नवंबर शाम 7:30 बजे तक की समय सीमा दी. लेकिन वे भी नाकाम रहे और अतिरिक्त समय की मांग की लेकिन ऐसा किया जाना संभव नहीं था.

उसके बाद 11 नवंबर शाम 8:00 बजे के आसपास एनसीपी के नेता अजित पवार को सरकार बनाने की इच्छा जाहिर करने और बहुमत के आंकड़े से मुझे संतुष्ट करने के लिए 12 नवंबर की शाम 8:30 बजे तक का समय दिया लेकिन उन्होंने 12 नवंबर की दोपहर की मुझे पत्र लिखकर सूचित किया कि सरकार बनाने में सक्षम नहीं है. उन्हें अधिक 2 दिन का समय चाहिए जो देना संभव नहीं था. राज्य में बिना सरकार गठन के 15 दिन बीत चुके थे और यह समय तमाम पार्टियों की सरकार बनाने के लिए पर्याप्त था.

ऊपर बताए गए हालात के मद्देनजर यह संभव दिखने लगा था कि महाराष्ट्र में कोई भी दल संवैधानिक और स्थाई सरकार नहीं बना सकता है. इसके परिणाम स्वरूप मैं संतुष्ट हो गया कि महाराष्ट्र में संविधान और व्यवस्था के तहत कोई भी सरकार नहीं बन सकती है, और उसका कोई विकल्प भी नहीं हो सकता है. इसलिए संविधान की धारा 356 का उपयोग करने के लिए बाध्य हूं. मैं, महाराष्ट्र का राज्यपाल सिफारिश करता हूं, वर्तमान विधानसभा निलंबित रखी जाए और भारत के राष्ट्रपति से निवेदन है कि वे उचित कार्यवाही और निर्णय करें.

राज्यपाल के इस खत में महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की गई. राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस सरकार बनाने के लिए कोशिश कर रही है लेकिन अभी तक सरकार नहीं बन पाई है. जाहिर तौर पर अगर बहुमत के आंकड़े से ये दल राज्यपाल को संतुष्ट कर देते हैं तो राज्य की निलंबित विधानसभा में सरकार गठन का रास्ता साफ हो जाएगा.

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