‘तितली पार्क’ देखना है तो लच्छीवाला आईए

  1. Home
  2. Dehradun

‘तितली पार्क’ देखना है तो लच्छीवाला आईए

मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शनिवार को लच्छीवाला में शिवालिक तितली पार्क एवं जड़ी बूटी उद्यान एवं वानर बन्ध्याकरण केन्द्र का लोकार्पण किया। उन्होंने वन्य जीव सप्ताह का भी समापन किया तथा राजा जी राष्ट्रीय पार्क की जैव विविधता पर आधारित पुस्तक एवं बटरफ्लाई ब्रोसर का भी विमोचन किया। उन्होंने बटरफ्लाई में अलग-अलग नेचर की प्रजातियों


मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शनिवार को लच्छीवाला में शिवालिक तितली पार्क एवं जड़ी बूटी उद्यान एवं वानर बन्ध्याकरण केन्द्र का लोकार्पण किया।

उन्होंने वन्य जीव सप्ताह का भी समापन किया तथा राजा जी राष्ट्रीय पार्क की जैव विविधता पर आधारित पुस्तक एवं बटरफ्लाई ब्रोसर का भी विमोचन किया।

उन्होंने बटरफ्लाई में अलग-अलग नेचर की प्रजातियों को विकसित करने को कहा। उन्होंने यहा पर क्रोकोडाईल तथा रेपटाईल पार्क भी विकसित करने पर बल दिया। मुख्यमंत्री रावत ने प्रमुख वन संरक्षक को प्रदेश में 10-10 काफल व बुरांस के पार्क भी विकसित करने को कहा।

मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि लछीवाला (बटर फ्लाई) तितली पार्क हर्बल गार्डन बनने से लोग प्रकृति के और नजदीक आयेंगे तथा पर्यावरण संरक्षण से जुडेंगे। उन्होंने इसकी मार्केटिंग करने के भी निर्देश दिये तथा राजा जी पार्क में एलीफेन्ट सफारी योजना शुरू करने को कहा ताकि लोग जंगलों से जुड़े तथा वन्य जीव संघर्ष कम हो।

उन्होंने इकोटूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन को गांवों एवं गुजरों के घरों को इससे जोड़ने को कहा। उन्होंने लछीवाला गेस्ट हाउस  को संरक्षित करने के साथ ही आस-पास काटेज बनाने का कहा ताकि लोग यहा ठहरने आये। उन्होंने लक्ष्मण सिद्ध, कालू सिद्ध व लछीवाला को पर्यटक सर्किट के रूप में विकसित करने को कहा ताकि अधिक से अधिक लोग इन क्षेत्रों में आए। उन्होंने कहा कि आज तरक्की का मापदण्ड पैसा नही बल्कि खुशहाली का पैमाना यह है कि वे अपनी जिंदगी का लुत्फ कैसे उठाते है।

उन्होंने कहा कि वन विभाग राज्य के विकास में भागीदारी निभा रहा है। प्रदेश में वन भूमि की स्वीकृति के बाद 1000 किमी सड़कों का निर्माण हो रहा है। फसलों को जंगली जानवरों से हो रहे नुकसान को कम करने के लिए सुअर रोधी दीवार बनायी जा रही है। बन्दरबाडे बनाये जा रहे है। उन्होंने जंगलों में जानवरों को चारे की व्यवस्था के लिए गन्ना, बांस लगाने, पर्वतीय क्षेत्रों में मंडुआ व झंगोरा बोने को कहा। उन्होंने क्षेत्रीय जनता से गन्ना बीज बदलाव में आगे आने, दुग्ध व सब्जी उत्पादन बढ़ान को कहा, इसके लिए बोनस की व्यवस्था की गई है। किसान यदि आधुनिक वैज्ञानिक पद्वाति से गन्ना बोये तो चीनी मिलो का घाटा कम होगा। तथा किसानों की आर्थिकी मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि डोईवाला दुग्ध कृषि व सब्जी उत्पादन का केन्द्र बने इसके लिए प्रयास किये जाने चाहिए।

कार्यक्रम को वन मंत्री दिनेश अग्रवाल, विधायक हीरा सिंह बिष्ट के साथ ही प्रमुख वन संरक्षक आर.के.महाजन ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम वन विभाग के उच्चाधिकारी, स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ ही बड़ी संख्या में वन गूजर भी उपस्थित थे।

uttarakhand postपर हमसे जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक  करे , साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार ) के अपडेट के लिए हमे गूगल न्यूज़  google newsपर फॉलो करे