बच्चों में भी बढ़ रहा है कैंसर का खतरा ! इस तरह पहचाने लक्षण

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बच्चों में भी बढ़ रहा है कैंसर का खतरा ! इस तरह पहचाने लक्षण

नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) भले ही बच्चों में कैंसर होना बहुत आम नहीं है। बताया जाता है कि बच्चों में भी कैंसर के लगभग 40 से 50 हजार नए मामले हर साल सामने आते हैं । एक सीनियर डॉक्टर मुताबिक, बेहतर स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच नहीं होना या प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा कर्मियों द्वारा बच्चों


नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) भले ही बच्चों में कैंसर होना बहुत आम नहीं है। बताया जाता है कि बच्चों में भी कैंसर के लगभग 40 से 50 हजार नए मामले हर साल सामने आते हैं । एक सीनियर डॉक्टर मुताबिक, बेहतर स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच नहीं होना या प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा कर्मियों द्वारा बच्चों में कैंसर के लक्षण की पहचान न होने की वजह से इस बीमारी का समय पर पता नहीं लग पाता है।

एक बाल चिकित्सक शायद ही किसी बच्चे में कैंसर की पहचान कर पाते हैं। बच्चों में कैंसर के लक्षणों को देखकर समझा जा सकता है कि इसकी पहचान देरी से क्यों होती है या फिर इसकी पहचान क्यों नहीं हो पाती है। डॉक्टर कि उपलब्ध थेरेपी को इलाज के नए इनोवेशन के साथ मिलाते हुए लगातार किए गए क्लीनिकल ट्रायल से यह सफलता हासिल की जा सकी है। इन क्लीनिकल ट्रायल को उत्तरी अमेरिका और यूरोप में बच्चों के इलाज की दिशा में कार्यरत विभिन्न टीमों ने अंजाम दिया है।

अमेरिकन फेडरेशन ऑफ क्लीनिकल ऑन्कोलॉजी सोसायटीज की ओर से 1998 में सर्वसम्मति से प्रकाशित बयान में भी इस पर जोर दिया गया था। बयान में यह भी कहा गया था कि समय पर इलाज मिलने से बेहतर नतीजों की उम्मीद बढ़ जाती है। बीमारी को पहचानने और इलाज शुरू होने के बीच के समय को कम से कम करना चाहिए। खून से संबंधित कैंसर और ब्रेन ट्यूमर के अलावा बच्चों में होने वाले अन्य कैंसर जल्दी वयस्कों में नहीं दिखते हैं। बच्चों में साकोर्मा और एंब्रायोनल ट्यूमर सबसे ज्यादा होते हैं। वयस्कों में होने वाले कैंसर के बहुत से लक्षण हैं जो बच्चों में बहुत मुश्किल से दिखते हैं।

बच्चों में कैंसर के लक्षण इस तरह पहचानें, सुबह-सुबह उल्टी होना. पीलापन और रक्तस्राव जैसे चकत्ते, बेवजह चोट के निशान या मुंह या नाक से खून, हड्डियों में दर्द, बच्चे में पीठ दर्द का हमेशा ध्यान रखें। बच्चा जो अचानक लंगड़ाने लगे या वजन उठाने में परेशानी हो या अचानक चलना छोड़ दे, ऐसी गांठें जो इलाज के छह हफ्ते बाद भी ठीक न हो, अचानक चर्बी चढ़ना, विशेषरूप से पेट, सिर, गर्दन और हाथ-पैर पर, लगातार बुखार, उदासी और लगातार वजन गिरना भी हो सकता है।

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