जी हां, भारत में यहां 10 से 12 रुपए किलो बिकते हैं काजू

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जी हां, भारत में यहां 10 से 12 रुपए किलो बिकते हैं काजू

अगर आप काजू खाने के शौकिन हैं तो ये खबर आपके लिए ही है। काजू के शौकिन भी शायद काजू की कीमतों की वजह से काजू के शौकिन भी काजू खाने से पहले अपनी जेब जरुर टटोलते होंगे। ऐसे में अगर हम कहें कि काजू की कीमत आलू-प्याज से भी कम है तो आप शायद


जी हां, भारत में यहां 10 से 12 रुपए किलो बिकते हैं काजू

अगर आप काजू खाने के शौकिन हैं तो ये खबर आपके लिए ही है। काजू के शौकिन भी शायद काजू की कीमतों की वजह से काजू के शौकिन भी काजू खाने से पहले अपनी जेब जरुर टटोलते होंगे।

ऐसे में अगर हम कहें कि काजू की कीमत आलू-प्याज से भी कम है तो आप शायद इस पर भरोसा न कर पाएं लेकिन ये एकदम सही खबर है। जी हां, भारत में ही एक जगह ऐसी भी है जहां पर काजू 10 से 12 रुपए किलो बिकते हैं।

हम बात करे रहे हैं झारखंड के जामताड़ा इलाके की जहां पर तरीब 49 एकड़ इलाके में काजू के बागान हैं। बागान में काम करने वाले बच्चे और महिलाएं काजू को बेहद सस्ते दाम में बेच देते हैं।

जी हां, भारत में यहां 10 से 12 रुपए किलो बिकते हैं काजू

काजू की बंपर पैदावार के पीछे की कहानी काफी दिलचस्प है। जामताड़ा में काजू की इतनी बड़ी पैदावार चंद साल की मेहनत के बाद शुरू हुई है। इलाके के लोग बताते हैं जामताड़ा के पूर्व उपायुक्त कृपानंद झा को काजू खाना बेहद पसंद था। इसी वजह वह चाहते थे कि जामताड़ा में काजू के बागान बन जाए तो वे ताजी और सस्ती काजू खा सकेंगे। इसी वजह से कृपानंद झा ने ओडिशा में काजू की खेती करने वालों से मिले। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से जामताड़ा की भौगोलिक स्थिति का पता किया। इसके बाद यहां काजू की बागवानी शुरू कराई। देखते ही देखते चंद साल में यहां काजू की बड़े पैमाने पर खेती होने लगी।

जी हां, भारत में यहां 10 से 12 रुपए किलो बिकते हैं काजू

कृपानंद झा के यहां से जाने के बाद निमाई चन्द्र घोष एंड कंपनी को केवल तीन लाख रुपए भुगतान पर तीन साल के लिए बागान की निगरानी का जिम्मा सौंपा गया। एक अनुमान के मुताबिक बागान में हर साल हजारों क्विंटल काजू फलते हैं।

हालांकि देखरेख के अभाव में स्थानीय लोग और यहां से गुजरने वाले काजू तोड़कर ले जाते हैं। सरकार ने इलाके के किसानों की हालत सुधारने के लिए यहां काजू की बागवानी बढ़ाने और उन्हें उचित दाम दिलाने का वादा कर रही है लेकिन धरातल पर इस पर कुछ काम नहीं हो पाया है।

 

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