वनों की आग नहीं बुझी तो सस्पेंड होंगे मुख्य वन संरक्षक
नैनीताल हाईकोर्ट ने पिछले साल राज्य के जंगलों में धधकी भीषण आग का स्वत: संज्ञान लिया था और साथ ही केंद्र राज्य सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा था। पिछले दिनों वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने इन दी मैटर ऑफ दी प्रोटेक्शन ऑफ फोरेस्ट इन्वायरमेंट, वाइल्ड लाइफ
नैनीताल हाईकोर्ट ने पिछले साल राज्य के जंगलों में धधकी भीषण आग का स्वत: संज्ञान लिया था और साथ ही केंद्र राज्य सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा था।
पिछले दिनों वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने इन दी मैटर ऑफ दी प्रोटेक्शन ऑफ फोरेस्ट इन्वायरमेंट, वाइल्ड लाइफ संबंधी इस जनहित याचिका पर सुनवाई पूरी की। फैसले में अदालत ने तमाम अहम बिंदुओं पर दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
खंडपीठ ने वनों को आग से बचाने के लिए गर्मियों से पहले दस हजार अग्नि सुरक्षा कर्मियों की नियुक्ति करने तथा उचित मात्रा में पानी का इंतजाम करने को कहा है। साथ ही वनों को आग से बचानेके लिए सरकार को समुचित धन की व्यवस्था करने को कहा।
कोर्ट ने अतिक्रमणकारी गुर्जरों को एक साल के भीतर वन भूमि से बेदखल करने, इसके लिए एसडीआरएफ, एनडीआरएफ कर्मियों की संख्या बढ़ाने को कहा है।
कोर्ट ने साफ किया है कि 24 घंटे में आग नहीं बुझने पर डीएफओ, 48 घंटे में नहीं बुझने पर वन संरक्षक तथा 72 घंटे में आग नहीं बुझने पर मुख्य वन संरक्षक को सस्पेंड करने के आदेश पारित किए।
खंडपीठ ने कार्बेट पार्क क्षेत्र में केंद्र सरकार के सहयोग से दीवार का निर्माण करने को कहा। पूरे फैसले के अनुपालन के लिए मुख्य सचिव, वन एवं पर्यावरण सचिव को जवाबदेह बनाया गया है।
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