चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण के साथ ही इसरो ने रचा इतिहास

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चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण के साथ ही इसरो ने रचा इतिहास

नई दिल्ली(उत्तराखंड पोस्ट) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-2 को लॉन्च कर इतिहास रच दिया है। चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) को लेकर ‘बाहुबली’ रॉकेट (GSLV MK-3) दोपहर 2.43 मिनट पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रवाना हुआ। रॉकेट ने चंद्रयान-2 को अंतरिक्ष की कक्षा में पहुंचा दिया है। चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग को लेकर सतीश धवन


चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण के साथ ही इसरो ने रचा इतिहास

नई दिल्ली(उत्तराखंड पोस्ट) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-2 को लॉन्च कर इतिहास रच दिया है। चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) को लेकर ‘बाहुबली’ रॉकेट (GSLV MK-3) दोपहर 2.43 मिनट पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रवाना हुआ। रॉकेट ने चंद्रयान-2 को अंतरिक्ष की कक्षा में पहुंचा दिया है। चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग को लेकर सतीश धवन स्पेस सेंटर में मौजूद वैज्ञानिकों में खुशी की लहर है।आपको बता दें कि करीब 50 दिन बाद 6 से 8 सितंबर के बीच चांद पर भारत का चंद्रयान उतरेगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग पर वैज्ञानिकों और इसरो की टीम को पीएम मोदी ने बधाई देते हुए कहा कि आज का दिन 130 करोड़ देशवासियों के लिए गर्व का दिन है।चंद्रयान-2 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग पर इसरो के चीफ के सिवन ने कहा कि हमने चंद्रयान-2 की तकनीकी दिक्कत दूर कर इस मिशन को अंतरिक्ष में भेजा। इसकी लॉन्चिंग हमारी सोच से भी बेहतर हुई है। चांद की तरफ भारत की ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत हुई।

चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। उन्होंने कहा कि अभी टास्क खत्म नहीं हुआ है। हमें अपने अगले मिशन पर लगना है। इसरो की तरफ से कहा गया है कि अभी रॉकेट की गति बिल्कुल सामान्य है। सब कुछ प्लानिंग के हिसाब से ही चल रहा है। दोनों एस- 200 रॉकेट्स चंद्रयान-2 से अलग हो गए हैं।इसरो के मुताबिक चंद्रयान-2 की लैंडिंग के अखिरी के 15 मिनट सबसे महत्वपूर्ण होंगे, जब लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला होगा। उन्होंने कहा कि मिशन पूरी तरह से कामयाब सबित होगा और चंद्रमा पर नई चीजों की खोज करने में सफल रहेगा।चंद्रयान-2 को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाने की जिम्मेदारी इसरो ने अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल- मार्क 3 (जीएसएलवी-एमके 3) को दी थी।चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण के साथ ही इसरो ने रचा इतिहास

इस रॉकेट को स्थानीय मीडिया से ‘बाहुबली’ नाम मिला। 640 टन वजनी रॉकेट की लागत 375 करोड़ रुपये है।इस रॉकेट ने 3.8 टन वजन वाले चंद्रयान-2 को लेकर उड़ान भरी। चंद्रयान-2 की कुल लागत 603 करोड़ रुपये है। अलग-अलग चरणों में सफर पूरा करते हुए यान सात सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव की निर्धारित जगह पर उतरेगा। अब तक विश्व के केवल तीन देशों अमेरिका, रूस व चीन ने चांद पर अपना यान उतारा है। 2008 में भारत ने चंद्रयान-1 लॉन्च किया था। यह एक ऑर्बिटर अभियान था। ऑर्बिटर ने 10 महीने तक चांद का चक्कर लगाया था। चांद पर पानी का पता लगाने का श्रेय भारत के इसी अभियान को जाता है।इस रॉकेट ने 3.8 टन वजन वाले चंद्रयान-2 को लेकर उड़ान भरी।

चंद्रयान-2 की कुल लागत 603 करोड़ रुपये है। अलग-अलग चरणों में सफर पूरा करते हुए यान सात सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव की निर्धारित जगह पर उतरेगा। अब तक विश्व के केवल तीन देशों अमेरिका, रूस व चीन ने चांद पर अपना यान उतारा है। 2008 में भारत ने चंद्रयान-1 लॉन्च किया था। यह एक ऑर्बिटर अभियान था। ऑर्बिटर ने 10 महीने तक चांद का चक्कर लगाया था। चांद पर पानी का पता लगाने का श्रेय भारत के इसी अभियान को जाता है।

इस रॉकेट ने 3.8 टन वजन वाले चंद्रयान-2 को लेकर उड़ान भरी। चंद्रयान-2 की कुल लागत 603 करोड़ रुपये है। अलग-अलग चरणों में सफर पूरा करते हुए यान सात सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव की निर्धारित जगह पर उतरेगा। अब तक विश्व के केवल तीन देशों अमेरिका, रूस व चीन ने चांद पर अपना यान उतारा है। 2008 में भारत ने चंद्रयान-1 लॉन्च किया था। यह एक ऑर्बिटर अभियान था। ऑर्बिटर ने 10 महीने तक चांद का चक्कर लगाया था। चांद पर पानी का पता लगाने का श्रेय भारत के इसी अभियान को जाता है।

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