मुश्किल में DGP, वन भूमि कब्जाने के मामले में सिद्धू को चार्जशीट

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मुश्किल में DGP, वन भूमि कब्जाने के मामले में सिद्धू को चार्जशीट

राज्य शासन ने रिटायरमेंट से ठीक एक दिन पहले डीजीपी बीएस सिद्धू को चार्जशीट थमा दी। उन पर रिजर्व फारेस्ट में अवैध रूप से भूमि कब्जा करने के साथ ही पेड़ कटान का आरोप है। डीजीपी सिद्धू के देहरादून में न होने के कारण एक बंद में लिफाफे में आदेश को पुलिस मुख्यालय भेजा गया।


राज्य शासन ने रिटायरमेंट से ठीक एक दिन पहले डीजीपी बीएस सिद्धू को चार्जशीट थमा दी। उन पर रिजर्व फारेस्ट में अवैध रूप से भूमि कब्जा करने के साथ ही पेड़ कटान का आरोप है। डीजीपी सिद्धू के देहरादून में न होने के कारण एक बंद में लिफाफे में आदेश को पुलिस मुख्यालय भेजा गया। देर रात इसे डीजीपी को तामील करा दिया गया।  चार्जशीट सौंपे जाने की स्थिति में पंद्रह दिनों के भीतर इसका जवाब देना होता है।

प्रदेश के डीजीपी बीएस सिद्धू पर डीजीपी बनने के बाद उन पर तमाम आरोप लगे। इसमें राजपुर रिजर्व फॉरेस्ट में भूमि खरीदने और पेड़ों के कटान का मामला अहम रहा। इसमें डीजीपी पर फर्जी नाम से वसीयत बनाने और रिजर्व फारेस्ट क्षेत्र में पेड़ काटने का मामला सबसे अधिक चर्चित रहा। हालांकि, मामला बढ़ता देख डीजीपी ने इस जमीन पर अपना कब्जा छोड़ दिया था।

यह मामला हाईकोर्ट भी पहुंचा। हाईकोर्ट ने इस मसले पर एसआइटी के गठन के आदेश भी दिए लेकिन कतिपय कारणों से इसका गठन नहीं हो पाया। शासन स्तर से भी कई बार इस मामले की जांच हुई लेकिन जांच नतीजे कभी सार्वजनिक हो पाए। यह मामला अभी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में भी लंबित चल रहा है। प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद इस मसले पर राजभवन में भी शिकायत की गई। इस पर राजभवन ने पुरानी जांच रिपोर्ट तलब की थी।

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