जब टिहरी में ताजा हुई ‘चिपको आंदलोन’ की यादें

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जब टिहरी में ताजा हुई ‘चिपको आंदलोन’ की यादें

सत्तर के दशक में गौरा देवे के नेतृत्व में उत्तराखंड के चमोली जिले में शुरु हुए ‘चिपको आंदोलन’ आपको याद होगा, जब पेड़ों को बचाने के लिए महिलाएं पेड़ों से चिपक गई थी। टिहरी के घनसाली में थाती कठूड पट्टी के भेटी गांव की महिलाओं ने एक बार फिर से ‘चिपको आंदोलन की’ याद ताजा


सत्तर के दशक में गौरा देवे के नेतृत्व में उत्तराखंड के चमोली जिले में शुरु हुए ‘चिपको आंदोलन’ आपको याद होगा, जब पेड़ों को बचाने के लिए महिलाएं पेड़ों से चिपक गई थी। टिहरी के घनसाली में थाती कठूड पट्टी के भेटी गांव की महिलाओं ने एक बार फिर से ‘चिपको आंदोलन की’ याद ताजा कर दी है। 23 लाख की लागत से बासर नहर से पौनी बासर के लिए चार किमी नहर के निर्माण के नाम पर जब शनिवार को सिंचाई और वन निगम ने बांज की पेड़ों को काटने के लिए आरियां चलाई, तो महिलाएं पेड़ पर चिपक गई। महिलाओं ने कहा कि बांज के इन पेड़ों को उन्होंने वर्षों तक अपने बच्चों की तरह पाला है। अब पेड़ों की बलि को वे अपने सामने नहीं देख सकते हैं। महिलाओं के विरोध के सामने वन निगम और सिंचाई विभाग के कर्मियों की एक नहीं चली और उन्हें बैंरंग लौटना पड़ा।

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