एक स्कूल कम बना लूंगा, लेकिन मां-बच्चे को कुपोषण से मुक्त करेंगे: CM

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एक स्कूल कम बना लूंगा, लेकिन मां-बच्चे को कुपोषण से मुक्त करेंगे: CM

मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि कुपोषण और शोषण से समाज और खासकर बाल समाज को मुक्त रखना होगा। एक भी बच्चे या मां के साथ अन्याय देश व समाज के साथ अन्याय है। उत्तराखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग एवं राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के संयुक्त तत्वावधान में किशोर न्याय अधिनियम-2015 पर एक


मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि कुपोषण और शोषण से समाज और खासकर बाल समाज को मुक्त रखना होगा। एक भी बच्चे या मां के साथ अन्याय देश व समाज के साथ अन्याय है।
उत्तराखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग एवं राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के संयुक्त तत्वावधान में किशोर न्याय अधिनियम-2015 पर एक दिवसीय कार्यशाला में उन्होंने यह बात कही।
सर्वे चौक स्थित राजकीय प्रौद्योगिकी संस्थान में आयोजित कार्यशाला का शुभारंभ मुख्यमंत्री हरीश रावत ने किया। इस दौरान आयोग की ओर से आयोजित निबंध प्रतियोगिता के विजयी छात्र व आपरेशन स्माइल में सराहनीय कार्य के लिए पुलिसकर्मी भी सम्मानित किए गए। इसके अलावा संस्थाओं को भी सम्मानित किया गया।
समारोह में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि दुर्भाग्य यह है कि बच्चा गर्भ में आने के साथ ही शोषण का शिकार होने लगता है। कहीं हम मां की सही ढंग से केयर नहीं कर पाते, तो कई मामलों में बच्चे को अनचाहा मान लेते हैं। या फिर पैदा होने के बाद बच्चे की सही केयर नहीं हो पाती।

उन्होंने कहा कि एक भी बच्चे या मां के साथ अन्याय देश व समाज के साथ अन्याय है। कहीं इच्छाशक्ति, कहीं नियम और कहीं संसाधन आड़े आ जाते हैं। हमें इससे बाहर निकलकर प्रयास तेज करने होंगे।
आपरेशन स्माइल पर सीएम रावत ने कहा कि इससे पुलिस ही नहीं राज्य की भी छवि भी सुधरी है। पालना, अन्नप्राशन योजना, खिलती कलियां, कूडा बीनने वाले बच्चों का पुनर्वास आदि का जिक्र करते उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने पहल जरूर की है पर चीजें अभी संगठित तौर पर नहीं हैं। इसे बडे पैमाने पर ले जाने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं एक अस्पताल, एक स्कूल और एक पुल कम बना लूंगा, लेकिन एक मां और बच्चे की जो जरूरत को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करना चाहिए। राष्ट्रीय स्कीम में कहीं किसी तरह का गैप नजर आता है तो राज्य सरकार अपने संसाधनों से उसे पूरा करने का प्रयास करती है। परिवार टूटने के कारण बच्चों पर पडने वाले प्रतिकूल असर को देखते हुए न्यायिक स्तर पर सुधार व पुलिस को अधिक संवेदनशील बनाने की भी कोशिश की जा रही है।

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