पढ़ें- देहरादून में मोदी की रैली ने क्यों उड़ाई कांग्रेसियों की नींद ?

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पढ़ें- देहरादून में मोदी की रैली ने क्यों उड़ाई कांग्रेसियों की नींद ?

देहरादून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में उम्मीद से अधिक भीड़ जुटने से भाजपाई खासे उत्साहित हैं। पीएम बनने के बाद पहली बार देहरादून पहुंचने पर परेड मैदान में इतने लोग मोदी को सुनने आएंगे इसकी उम्मीद ना तो उत्तराखंड में सत्ता परिवर्तन के लिए जोर लगा रही भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को


देहरादून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में उम्मीद से अधिक भीड़ जुटने से भाजपाई खासे उत्साहित हैं। पीएम बनने के बाद पहली बार देहरादून पहुंचने पर परेड मैदान में इतने लोग मोदी को सुनने आएंगे इसकी उम्मीद ना तो उत्तराखंड में सत्ता परिवर्तन के लिए जोर लगा रही भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को थी और ना ही खुद प्रधानमंत्री मोदी को।

अपने भाषण की शुरुआत में मोदी तो उमड़े जन सैलाब को देखकर इस पर बोले बिना नहीं रह सके। पीएम ने कहा देहरादून ने तो आज कमाल कर दिया। साथ ही मोदी ने 2014 में इसी मैदान में हुई रैली की याद करते हुए कहा कि उस वक्त ये मैदान आधा ही भरा था और आज दूर – दूर तक माथे ही माथे दिखाई दे रहे हैं। मोदी ने इसकी बकायदा शिकायत तक लोगों से की कि तब क्यों नहीं आप इतनी बड़ी संख्या में आए।

वहीं उत्तराखंड में अपनी सत्ता बचाने के लिए लड़ रही कांग्रेस मोदी की रैली से पहले तो अल्मोड़ा में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की रैली में भारी भीड़ उमड़ने से उत्साहित थी लेकिन मोदी की देहरादून रैली ने कांग्रेसियों के माथे पर शिकन ला दी है। कांग्रेस भले ही मोदी की रैली में भाड़े की भीड़ लाने की बात कहकर अपना दर्द कम करने की कोशिश कर रही है लेकिन सच्चाई यही है कि दून की मोदी की रैली ने कांग्रेसियों की नींद उड़ा दी है। दरअसल कांग्रेसी सोच रहे थे नोटबंदी के चलते लोगों में मोदी सरकार के खिलाफ गुस्सा है और इसका असर मोदी की रैली में भी पड़ेगा और ज्यादा भीड़ नहीं जुटेगी। लेकिन हुआ इसका उल्ट।

लंबे वक्त से देहरादून में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की रैली कराने की कोशिश में जुटे कांग्रेसियों के सामने अब सबसे बड़ी मुश्किल है राहुल की रैली में मोदी की रैली से ज्यादा भीड़ एकत्र करना। जो कि इतना आसान काम नहीं है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या इसके बाद भी कांग्रेस देहरादून में राहुल गांधी की रैली कराने का साहस जुटा पाएगी।

हालांकि रैली में भीड़ का जीत-हार से कोई सीधा लेने देना नहीं है क्योंकि भीड़ वोट में बदले ये जरुरी नहीं है। लेकिन चुनावी रैलियों में भीड़ पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के मनोबल को जरुर बढ़ाने की काम करती है। राहुल गांधी की अल्मोड़ा रैली में उमड़ी भीड़ ने कांग्रेस का मनोबल बढ़ाया तो देहरादून में मोदी की रैली में उमड़े जनसैलाब ने सत्ता परिवर्तन की तैयारी में लगे भाजपाईय़ों के मनोबल को कई गुना बढ़ा दिया है। बहरहाल देखना ये होगा कि चुनावी रैलियों में भीड़ का ये मनोविज्ञान भाजपा और कांग्रेस के नेताओं में कितना जोश भर पाता है।

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