मेहनत एवं ईमानदारी हर पहाड़ी की पहचान : DGMO भट्ट

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मेहनत एवं ईमानदारी हर पहाड़ी की पहचान : DGMO भट्ट

उत्तराखंड का मान बढ़ाने वाले भारतीय थल सेना के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल अनिल कुमार भट्ट गुरुवार को टिहरी जिले की लोस्तु पट्टी में घंडियालधार की घंटाकर्ण देवता जात (यात्र) में शामिल हुए। भट्ट ने कहा कि ईमानदारी और मेहनत से हर लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। कहा कि उनकी मां ने तमाम परेशानियां


मेहनत एवं ईमानदारी हर पहाड़ी की पहचान : DGMO भट्ट

उत्तराखंड का मान बढ़ाने वाले भारतीय थल सेना के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल अनिल कुमार भट्ट गुरुवार को टिहरी जिले की लोस्तु पट्टी में घंडियालधार की घंटाकर्ण देवता जात (यात्र) में शामिल हुए।

भट्ट ने कहा कि ईमानदारी और मेहनत से हर लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। कहा कि उनकी मां ने तमाम परेशानियां ङोलते हुए उन्हें इस काबिल बनाया। उन्हें लोस्तु बडियार का निवासी होने पर गर्व है।

मीडिया से बात करते हुए डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल अनिल कुमार भट्ट ने कहा कि भारतीय सेना चुनौतियों से घबराती नहीं, बल्कि उनसे निपटने के लिए हर वक्त तत्पर रहती है। इसीलिए यह दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेना है।

मेहनत एवं ईमानदारी हर पहाड़ी की पहचान : DGMO भट्ट

मेहनत एवं ईमानदारी को हर पहाड़ी की पहचान बताते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा व पर्यटन के क्षेत्र में यहां के हर युवा को रोजगार का विशेष अवसर दिया जाना चाहिए। इससे पहाड़ से पलायन की समस्या दूर करने में भी मदद मिलेगी।

इससे पहले जात में पहुंचने पर मंदिर समिति के अध्यक्ष कैप्टन सते सिंह भंडारी ने मंदिर समिति और क्षेत्रीय जनता की ओर से उनका अभिनंदन किया।

डीजीएमओ भट्ट लोस्तु पट्टी स्थित अपने पैतृक गांव खतवाड़ भी गए। यहां उन्होंने लगभग सौ वर्षीय रिश्ते की दादी भागीरथी देवी समेत अन्य बुजुर्गो से आशीर्वाद लिया। भट्ट गांव में स्थित अपने इष्ट देवता के मंदिर और फिर अपने पैतृक आवास भी पहुंचे। लगभग 45 मिनट वह गांव में रहे और इस दौरान बड़े-बुजुर्गो व युवाओं से खुलकर बातचीत की। उनकी बहन अनीता बडोला भी पति के साथ इस दौरान साथ में थी।

डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल अनिल कुमार भट्ट ने अपने गांव खतवाड़ और घंडियालधार में हर व्यक्ति से गढ़वाली भाषा में ही संवाद किया। दादी भागीरथी देवी से उन्हें भरपूर स्नेह मिलने के साथ ही और ऊंचाइयां छूने का आशीर्वाद भी मिला। क्षेत्र के लोगों ने स्नेह स्वरूप उन्हें प्रतीक चिह्न भेंट किया।

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