7.25 करोड़ रुपये में यहां बनेगा कुमाऊं का पहला जीआईएस उपकेंद्र

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7.25 करोड़ रुपये में यहां बनेगा कुमाऊं का पहला जीआईएस उपकेंद्र

हल्द्वानी (उत्तराखंड पोस्ट) करीब 7.25 करोड़ रुपये की लागत से कुमाऊं का पहला 33/11 केवी का गैस इंसुलेटेड सिस्टम (जीआईएस) सबस्टेशन हल्द्वानी में बनेगा। ऊर्जा निगम ने इसको स्वीकृति दे दी है। उपकेंद्र के निर्माण के लिए जमीन की तलाश की जा रही है। जीआईएस उपकेंद्र मुखानी से लालडांठ के बीच बनाने की योजना है।


हल्द्वानी (उत्तराखंड पोस्ट) करीब 7.25 करोड़ रुपये की लागत से कुमाऊं का पहला 33/11 केवी का गैस इंसुलेटेड सिस्टम (जीआईएस) सबस्टेशन हल्द्वानी में बनेगा।  ऊर्जा निगम ने इसको स्वीकृति दे दी है। उपकेंद्र के निर्माण के लिए जमीन की तलाश की जा रही है।

जीआईएस उपकेंद्र मुखानी से लालडांठ के बीच बनाने की योजना है। पीलीकोठी, देवलचौड़, छड़ायल, जजफार्म आदि क्षेत्र के लोगों को लाभ मिलेगा। इन क्षेत्रों में ही तेजी से विकास हो रहा है। नगर निगम में शामिल होने के कारण स्ट्रीट लाइट से लेकर अन्य सुविधाएं भी अब देनी होगी।जीआईएस उपकेंद्र बनने के बाद 20 वर्षों तक देखरेख की जरूरत नहीं होती है। इसमें 10 एमवीए के दो ट्रांसफार्मर लगेंगे। उपकेंद्र बनने के बाद लोवोल्टेज की समस्या से निजात मिलेगी।

लाइनों का लोड भी कम हो जाएगा। जीआईएस उपकेंद्र बनने के साथ ही एक रिंग मेंस भी बनाई जाएगी। रिंगमेंस से 33/11 केवी धौलाखेड़ा उपकेंद्र और 132केवी काठगोदाम उपकेंद्र को जोड़ा जाएगा। इस पर करीब तीन करोड़ रुपये खर्च होंगे। धौलाखेड़ा जुड़ने से लालकुआं तक पूरा क्षेत्र जुड़ जाएगा। धौलाखेड़ा में कभी दिक्कत आने पर जीआईएस से बिजली आपूर्ति हो सकेगी। कोई भी क्षेत्र अंधेरे में नहीं रहेगा। रिंग मेंस बनाने के लिए 33/11केवी की सात किमी लंबी लाइन डालनी पड़ेगी।

कोटाबाग-बैलपड़ाव को अब 220केवी कमलुवागांजा के बजाय रामनगर से बिजली आपूर्ति होगी। रामनगर-बैलपड़ाव के बीच 33/11केवी की लाइन बनकर तैयार हो गई है। जरूरत पड़ने पर रामनगर से हल्द्वानी के लिए भी बिजली मिल सकेगी। रामनगर-बैलपड़ाव के बीच 33/11केवी लाइन का निर्माण कार्य वर्ष 2005-2006 में शुरू हुआ था। इस पर करीब डेढ़ करोड़ रुपये खर्च होने थे लेकिन रामनगर के मोहल्ला गूलरघट्टी में कुछ विवाद के चलते लाइन निर्माण का काम रुक गया था। एसई शेखर त्रिपाठी और नीरज टम्टा ने पूरा विवाद सुलझाने के बाद निर्माण कार्य शुरू कराया। लाइन बनकर तैयार हो गई है।

विवाद के लिए चलते करीब आधे किमी लंबी अंडरग्राउंड केबल डाली गई है। लाइन के निर्माण में 2.30 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। लाइन बनने के बाद कोटाबाग, बैलपड़ाव क्षेत्र को अब रामनगर से ही बिजली आपूर्ति हो रही है। कोटाबाग, बैलपड़ाव का क्षेत्र हटने के कारण 220 केवी कमलुवागांजा उपकेंद्र से लोड कम हो गया है। कभी आपातकाल स्थिति में रामनगर से 220 केवी कमलुवागांजा उपकेंद्र तक बिजली लेकर हल्द्वानी में आपूर्ति कराई जा सकेगी।

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