2012 में इन सीटों पर जब्त हो गई थी BJP-कांग्रेस उम्मीदवारों की जमानत ?
राजनीति में किस्मत आजमा कर सत्ता सुख लेने की चाहत बहुत से लोगों में होती है। शायद यही वजह है कि हर चुनाव में ऐसे लोगों की फेरहिस्त काफी लंबी होती है जो जीत हार की परवाह किए बिना चुनावी मैदान में ताल ठोकते हैं। लेकिन राजनीति में किसका सितारा चमकेगा इसका फैसला जनता ही
राजनीति में किस्मत आजमा कर सत्ता सुख लेने की चाहत बहुत से लोगों में होती है। शायद यही वजह है कि हर चुनाव में ऐसे लोगों की फेरहिस्त काफी लंबी होती है जो जीत हार की परवाह किए बिना चुनावी मैदान में ताल ठोकते हैं। लेकिन राजनीति में किसका सितारा चमकेगा इसका फैसला जनता ही करती है। अब ख़बरें एक क्लिक पर इस लिंक पर क्लिक कर Download करें Mobile App –https://play.google.com/store/apps/details?id=app.uttarakhandpost
जनता कब किसे घूल चटा दे इसको भांप पाना किसे के बूते की बात नहीं है। 2012 के विधानसभा चुनाव में जनता ने अपनी वोट की ताकत से उत्तराखंड की दोनों प्रमुख पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के कुछ उम्मीदवारों को तक धूल चटा दी थी।
आप को जानकर हैरानी होगी कि पिछले विधानसभा चुनाव में 70 विधानसभा सीटों के लिए 788 उम्मीदवार मैदान में थे जिनमें से 614 उम्मीदवार अपनी जमानतक नहीं बचा पाए थे। इससे ज्यादा हैरानी आपको ये जानकर होगी कि चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें (32) जीतने वाली कांग्रेस के चार उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए थे। इसी तरह का दूसरी नंबर पर रहने वाले भाजपा (31 सीट) के भी तीन उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।
इन सीटों पर जब्त हुई कांग्रेस उम्मीदवारों की जमानत | देवप्रयाग, रानीपुर, लक्सर औऱ गदरपुर विधानसभा में कांग्रेस के उम्मीदवारों को न सिर्फ बड़ी हार का सामना करना पड़ा बल्कि वे अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए।
इन सीटों पर जब्त हुई बीजेपी उम्मीदवारों की जमानत | इसी तरह चकराता, भगवानपुर व मंगलौर विधानसभा में भाजपा के उम्मीदवारों को न सिर्फ बड़ी हार का सामना करना पड़ा बल्कि वे अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए।
कैसे बचती है जमानत | चुनाव लड़ रहे किसी भी प्रत्याशी की जमानत तभी बच सकती है जब उसे विधानसभा क्षेत्र में डाले गए कुल वैध मतों का कम से कम 1/6 मत मिले हों।
बहरहाल एक बार फिर से उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव सामने हैं और एक बार फिर से जनता को ही सबकी जीत – हार का फैसला करना है। ऐसे में देखना रोचक होगा कि इस चुनाव में जनता कितने नेताओं को जमानत जब्त करवाती है।
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