उत्तराखंड के खाली पहाड़ दे रहे हैं शत्रु की घुसपैठ को न्योता: तरुण विजय 

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उत्तराखंड के खाली पहाड़ दे रहे हैं शत्रु की घुसपैठ को न्योता: तरुण विजय 

उत्तराखंड में चीन की घुसपैठ पर टिपण्णी करते हुए भारत चीन संसदीय समूह के पूर्व अध्यक्ष तरुण विजय ने कहा कि हमें गृह मंत्रालय छानबीन रिपोर्ट की प्रतीक्षा करनी चाहिए। लेकिन कटु सत्य यह है की पहाड़ों , विशेषकर सीमावर्ती क्षेत्रों से लगातार हो रहा पलायन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बनता जा रहा है।


उत्तराखंड में चीन  की घुसपैठ पर टिपण्णी करते हुए भारत चीन संसदीय समूह के पूर्व अध्यक्ष तरुण विजय ने कहा कि  हमें गृह मंत्रालय छानबीन रिपोर्ट की प्रतीक्षा करनी चाहिए।  लेकिन कटु  सत्य  यह है की पहाड़ों , विशेषकर सीमावर्ती क्षेत्रों से लगातार हो रहा पलायन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बनता जा रहा है। सेना के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में मित्रतापूर्ण जनसंख्या का होना बहुत जरूरी  लेकिन  तथा अन्य हिमालयी सीमावर्ती राज्यों, यथा हिमाचल तथा लद्दाख के चुशूल जैसे इलाकों में सीमा क्षेत्रों से पलायन बहुत तेजी से बढ़ा है।  वहां न तो चिकित्ससा सुविधाएँ हैं, न ही संचार और अच्छे सर्व मौसम मार्ग हैं…कोई वहां क्यों रहे?
उत्तराखंड में बड़ाहोती, माना, मिलम ग्लेशियर जैसे क्षेत्रों में मार्गों तथा आधारभूत सुविधाओं का पूर्ण अकाल है। तरुण विजय ने कहा कि वे मुन्सयारी  से मिलम ग्लेशियर तक 105 किमी पैदल जाने वाले पहले सांसद हैं और उन्होंने देखा कि  क्षेत्र खाली है। यह बियाबान, सुनसान, खाली जनविहीन  सीमा के क्षेत्र शत्रु की घुसपैठ को न्योता देते हैं। तरुण विजय ने कहा की इस क्षेत्र मर्तोलिया गांव के पास कस्तूरी मृग एवं भोजपत्र का विराट जिंगल है जो स्थानीय निर्माण कार्यों की  बलि चढ़ रहा है। अतः प्रदेश सरकार को इस क्षेत्र के विकास हेतु पृथक प्राधिकरण बनाना  चाहिए।

उन्होंने बताया कि मुन्सयारी से मिलम तक हमारे सैनिकों को तीन दिन हथियार और सामान ढो कर ले जाने में लागते हैं जबकि  चीन ने मिलम तक सर्व मौसमी पक्की सड़क बना ली है।

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