मैंने गैरसैंण का प्रसव कराया, नामकरण भाजपा को करना है: हरीश रावत

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मैंने गैरसैंण का प्रसव कराया, नामकरण भाजपा को करना है: हरीश रावत

देहरादून/ गैरसैंण [उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो] गैरसैंण में शीतकालीन सत्र और गैरसैंण को प्रदेश की राजधानी बनाने को लेकर चल रही चर्चा के बीच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने न सिर्फ गैरसैंण में विधानसभावन, सचिवालय भवन बनाने का श्रेय खुद को दिया है बल्कि भाजाप सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े किए हैं। पूर्व सीएम


देहरादून/ गैरसैंण [उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो] गैरसैंण में शीतकालीन सत्र और गैरसैंण को प्रदेश की राजधानी बनाने को लेकर चल रही चर्चा के बीच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने न सिर्फ गैरसैंण में विधानसभावन, सचिवालय भवन बनाने का श्रेय खुद को दिया है बल्कि भाजाप सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े किए हैं।

पूर्व सीएम हरीश रावत ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि ये कोई साधारण बात नहीं कि विधानसभा भवन बना, दूसरी संस्थाएं खड़ी की गई और सभी राजनीतिक दलों को गैरसैंण गैरसैंण कहने के लिए मजबूर कर दिया, जिसमें भाजपा भी है।

रावत आगे लिखते हैं कि भाजपा तो गैरसैंण को तत्काल राजधानी घोषित करने का प्रस्ताव लेकर के आई थी 2016 में, जब गैरसैंण में सत्र चल रहा था। अब कौन रोक रहा है भाजपा को, सरकार उनकी है मगर दुख के साथ कहना पड़ रहा है पिछले सात महीने में गैरसैंण में जो निर्माण कार्य चल रहे थे, सब रोक दिए गए हैं। विधानसभा भवन जैसा हम छोड़ करके गए थे बिल्कुल उसी स्थिति में है, सचिवालय की नींव डाल दी थी काम प्रारंभ होने जा रहा था, उसको रोक दिया गया है।

रावत आगे लिखते हैं कि मैंने तो एक सुजान समझदारदायिक के तौर पर गैरसैंण का प्रसव करा दिया वहां विधानसभा भवन बनाकर और सचिवालय की नींव डालकर और दूसरे निर्माण कार्यों को प्रारंभ कर। अब वर्तमान सरकार के ऊपर है कि वो नवजात गैरसैंण शिशु का क्या नामकरण करना चाहते है।

गौरतलब है कि गैरसैंण को प्रदेश की स्थायी राजधानी बनाने की मांग लंबे समय से हो रही है लेकिन इस मुद्दे पर सिर्फ राजनीति ही होती आई है। हरीश रावत ने अपनी सरकार रहते गैरसैंण को राजधानी बनाने पर कोई फैसला नहीं लिया और अब भाजपा पर तंज कस रहे हैं। ठीक इसी तरह विपक्ष में रहते हुए भाजपा गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने का विलाप करती रही और अब सत्ता में रहते हुए इस मुद्दे पर खामोश बैठी है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि गैरसैंण की याद राजनीतिक दलों को विपक्ष में रहते हुए ही आती है।

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