उत्तराखंड को अवसाद की ओर धकेलने वाला है त्रिवेंद्र सरकार का बजट: किशोर

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उत्तराखंड को अवसाद की ओर धकेलने वाला है त्रिवेंद्र सरकार का बजट: किशोर

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्यया ने उत्तराखंड बजट पर कहा कि ये बजट उत्तराखंड को अवसाद की ओर धकेलने वाला है। किशोर ने कहा कि देवभूमि के मतदाताओं ने 2014 तथा 2017 में भाजपा को आशा की पराकाष्ठा से अधिक आशीर्वाद दिया, लेकिन भाजपा सरकार के इस दूसरे बजट ने


उत्तराखंड को अवसाद की ओर धकेलने वाला है त्रिवेंद्र सरकार का बजट: किशोर

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्यया ने उत्तराखंड बजट पर कहा कि ये बजट उत्तराखंड को अवसाद की ओर धकेलने वाला है।

किशोर ने कहा कि देवभूमि के मतदाताओं ने 2014 तथा 2017 में भाजपा को आशा की पराकाष्ठा से अधिक आशीर्वाद दिया, लेकिन भाजपा सरकार के इस दूसरे बजट ने उत्तराखंड की अवाम की आशाओं पर पानी फेर दिया।

उपाध्याय ने कहा कि 45585 करोड़ रुपये के बजट में विकास की लौ क्या चिंगारी भी नहीं दृष्टिगोचर हो रही है। जिस प्रदेश के बजट का लगभग 21% उधार लिये गये ऋण के ब्याज की भेंट चढ़ जाय, उस राज्य के आर्थिक भविष्य के सुसंपन्नता की कल्पना अब एक भयावह सपने जैसी लगती है।

पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जिस प्रदेश के बजट में कुल बजट का मात्र लगभग 12% निर्माण कार्यों के लिये प्रस्तावित किया गया हो, उस प्रदेश के विकास की कल्पना गूलर के फूल जैसी लगती है।

उत्तराखंड को अवसाद की ओर धकेलने वाला है त्रिवेंद्र सरकार का बजट: किशोर

जिस प्रदेश की स्वयं की आय कुल बजट के एक तिहाई भी न हो, वह कैसे अपने पैरों पर खड़ा होगा? सोचनीय विषय है । डब्बल इंजन का तो लगता है, तेल-पानी ख़त्म हो गया है। केंद्र मात्र लगभग 19% ही सहयोग राज्य को दे रहा है।

मेट्रो रेल का सुझाव तत्कालीन सरकार को किशोर उपाध्याय ने दिया था। नौकरशाही के मकड़ जाल के कारण उस पर काम शुरू नहीं हो पाया, अब 86 करोड़ रुपये में क्या मेट्रो बनेगी?

किशोर ने आगे कहा कि थोड़ा सा सकून 1500 करोड़ रुपये जड़ी-बूटियों के क्षेत्र के लिये रखने पर मिलता है, लेकिन उसका कोई रोड मैप तो है नहीं, बिना चकबंदी के प्रदेश जड़ी-बूटी प्रदेश नहीं बन पाएगा।लगता है, यह व्यवस्था राम देव जी के ख़ज़ाने को और सुदृढ़ करने के लिये की गयी है।

उपाध्याय यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि किसानों के क़र्ज़ के सवालों पर बजट मौन है। GST के सवालों पर भी बजट मौन है और व्यवसायियों को बजट से घोर निराशा होगी। बेरोज़गारों को बजट से और अधिक निराशा होगी। उत्तराखंड की रीढ़ महिलाओं की भी उपेक्षा की गयी है। प्रदेश की स्थाई राजधानी तो बना नहीं पाये, अब अंतर्राष्ट्रीय राजधानी बनायेंगे। पलायन रोकने का कोई प्रयास करती हुई सरकार दिखाई नहीं दे रही है। बजट से दूर-दूर तक यह आभाश नहीं होता है कि अब उत्तराखंड वयस्क हो गया है।

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