उपनल कर्मियों के लिए हाईकोर्ट से आई खुशखबरी, एक साल में नियमित करने के दिए आदेश

  1. Home
  2. Uttarakhand
  3. Nainital

उपनल कर्मियों के लिए हाईकोर्ट से आई खुशखबरी, एक साल में नियमित करने के दिए आदेश

नैनीताल (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड में उपलनकर्मियों के लिए हाईकोर्ट से बड़ा राहत भरी खबर आई है। नैनीताल हाईकोर्ट ने उपनलकर्मियों को चरणबद्ध ढंग में एक साल के भीतर नियमितीकरण नियमावली के तहत नियमित करने का आदेश प्रदेश सरकार को दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि उपनलकर्मियों को न्यूनतम वेतनमान जरूर मिले और


नैनीताल (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड में उपलनकर्मियों के लिए हाईकोर्ट से बड़ा राहत भरी खबर आई है। नैनीताल हाईकोर्ट ने उपनलकर्मियों को चरणबद्ध ढंग में एक साल के भीतर नियमितीकरण नियमावली के तहत नियमित करने का आदेश प्रदेश सरकार को दिया है।

कोर्ट ने यह भी कहा है कि उपनलकर्मियों को न्यूनतम वेतनमान जरूर मिले और उनको छह माह के अंदर एरियर तथा महंगाई भत्ता भी दिया जाए। कोर्ट ने सरकार को यह भी आदेश दिया है कि वह उपनलकर्मियों के एरियर से जीएसटी या सर्विस टैक्स की कटौती न करे।

आपको बता दें कि पिछले दिनों हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ ने सरकार से पूछा था कि उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए क्या नीति बनाई है? सरकार की ओर से जवाब में कोर्ट को बताया गया कि इस प्रकरण पर विचार किया जा रहा है। मामले के अनुसार कुंदन सिंह नेगी ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम उपनल द्वारा की जा रही नियुक्तियों पर रोक लगाने की मांग की थी। हाई कोर्ट ने इस पत्र का स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया था।

याचिका में कहा गया था कि उपनल का संविदा लेबर एक्ट मेें पंजीकरण नहीं है, इसलिए यह असंवैधानिक संस्था है। उपनल का गठन पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों के लिए हुआ था मगर राज्य सरकार ने इस संस्था को आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की नियुक्ति का माध्यम बना दिया। जिस पर पूर्ण नियंत्रण राज्य सरकार का है। याचिका में उपनल कर्मियों के सामाजिक व आर्थिक स्थिति को देखते हुए भविष्य के लिए नीति बनाने की मांग की थी।

उत्तराखंड | छठ पूजा पर कल रहेगी छुट्टी, त्रिवेंद्र सरकार ने घोषित किया सार्वजनिक अवकाश

कोर्ट ने इस मामले में हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एमसी पंत को न्यायमित्र नियुक्त किया था। अधिवक्ता पंत ने कोर्ट को बताया कि कर्मचारियों ने जब याचिका दायर की तो सरकार की ओर से बताया गया कि उन्हें साल में फिक्सनल ब्रेक दिया जाता है। कोर्ट ने इस ब्रेक को ना देने तथा इसे सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध माना था। सोमवार को हाई कोर्ट की ओर से उपनल कर्मियों को नियमावली के अनुसार नियमित करने तथा उन्हें न्यूनतम वेतनमान देने के आदेश पारित किए।

आपको बता दें कि राज्य के विभिन्न विभागों, निगमों व संस्थानों में 20 हजार से अधिक उपनल कर्मचारी कार्यरत हैं। इसमें ऊर्जा के तीनों निगमों में ही 1200 कर्मी हैं। उपनल कर्मचारी को प्रतिमाह सरकार द्वारा करीब 12 हजार मासिक मानदेय दिया जाता है। इस आधार सरकार करीब 25 करोड़ मासिक व सालाना करीब तीन सौ करोड़ मानदेय दे रही है। नियमित होने अथवा न्यूनतम वेतनमान के बाद सरकार पर सालाना करीब एक हजार करोड़ वित्तीय बोझ पड़ेगा।

Follow us on twitter – https://twitter.com/uttarakhandpost

Like our Facebook Page – https://www.facebook.com/Uttrakhandpost/

uttarakhand postपर हमसे जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक  करे , साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार ) के अपडेट के लिए हमे गूगल न्यूज़  google newsपर फॉलो करे