हरीश रावत को कोर्ट से बड़ी राहत, 31 मार्च को साबित करना होगा बहुमत

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हरीश रावत को कोर्ट से बड़ी राहत, 31 मार्च को साबित करना होगा बहुमत

उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के बीच कांग्रेस को नैनीताल हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने कांग्रेस की उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हरीश रावत को 31 मार्च को सुबह 11 बजे उत्तराखंड विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि बहुमत का


उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के बीच कांग्रेस को नैनीताल हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने कांग्रेस की उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हरीश रावत को 31 मार्च को सुबह 11 बजे उत्तराखंड विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि बहुमत का फैसला विधानसभा में ही होना चाहिए।  (पढ़ें-हरीश ऱावत के विश्वासमत से पहले उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू)

उत्तराखंड सियासी घटनाक्रम को लेकर मंगलवार को एक नया मोड़ आ गया है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अपने आदेश में 31 मार्च को उत्तराखंड विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने शक्ति परीक्षण के दौरान 9 अयोग्य करार दिए गए कांग्रेसी विधायकों को भी शामिल करने का आदेश दिया है। यानी वोटिंग के दौरान ये सभी विधायक भी हिस्सा ले सकेंगे। विश्वास मत यानी शक्ति परीक्षण गुरुवार (31 मार्च) सुबह 11 बजे होगा। शक्ति परीक्षण के दौरान हाईकोर्ट के राजिस्ट्रार जनरल असेंबली में  मौजूद रहेंगे। (पढ़ें-स्पीकर के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे बागी कांग्रेसी)

कांग्रेस की तरफ से पैरवी कर रह वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट के फैसले पर कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णय के आधार पर बहुमत साबित किए जाने की मांग कोर्ट से की थी। जस्टिस यू.सी. ध्यानी की सिंगल बेंच में चल रही सुनवाई के दौरान बागी विधायकों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह और दिनेश द्विवेदी ने पैरवी की। सोमवार को तीन घंटे तक चली सुनवाई के दौरान कांग्रेस नेता और अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने केंद्र को मंगलवार तक जवाब देने को कहा था। (पढ़ें-उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन पर हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार से मांगा जवाब) (पढ़ें- राष्ट्रपति शासन के बाद क्या हैं संभावनाएं ?)

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

वहीं सुप्रीम कोर्ट के वकील एमएल शर्मा ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करके सीबीआई जांच कराने की मांग की है। उन्होंने याचिका में कहा कि उत्तराखंड में विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला गंभीर है और इसकी जांच होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई होगी। (पढ़ें-सत्ता में आए तो हरीश रावत के भ्रष्टाचार की कराएंगे CBI जांच: BJP)

राज्यपाल से मिले थे हरीश रावत

कांग्रेस नेता हरीश रावत 34 विधायकों के साथ सोमवार को राज्यपाल से मिले और उन्होंने राज्यपाल के सामने अपना पक्ष रखा था और राज्यपाल से 34 विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए उन्हें बहुमत साबित करने का मौका देने का अनुरोध किया था। (पढ़ें-हरीश रावत ने गिराया उत्तराखंड का मान : खंडूरी)

स्टिंग ने बढ़ाई रावत की मुश्किल

गौरतलब है कि शनिवार को कांग्रेस के बागियों ने मुख्यमंत्री हरीश रावत की एक कथित सीडी जारी की थी। बागियों ने रावत पर सरकार बचाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त का गंभीर आरोप लगाया था। जिसके बाद भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से उत्तराखंड सरकार को बर्खास्त करने की मांग की थी। इस मामले में केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक के बाद रविवार को उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था। जिसके लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए कांग्रेस ने इसे अदालत में चुनौती देने की भी बात कही थी। उत्तराखंड में विधानसभा को भंग नहीं किया गया है बल्कि निलंबित रखा गया है। ऐसे में राष्ट्रपति शासन के बावजूद किसी नई सरकार के गठन का विकल्प अभी भी खुला है।  (पढ़ें-बड़ी खबर|बागी विधायकों ने किया हरीश रावत का स्टिंग)

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