गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी त्रिवेंद्र सरकार ने बनाई, फिर पूर्व CM हरीश रावत को क्यों मिल रही है बधाई ?

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गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी त्रिवेंद्र सरकार ने बनाई, फिर पूर्व CM हरीश रावत को क्यों मिल रही है बधाई ?

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) राज्य की त्रिवेंद्र सरकार ने बजट सत्र के दौरान गैरसैंण को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर दिया है। बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विधानसभा में इसकी घोषणा की। त्रिवेंद्र सरकार के इस फैसले के बाद से ही पहाड़ में राजधानी के हितैषी उन्हें बधाई देने के साथ


गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी त्रिवेंद्र सरकार ने बनाई, फिर पूर्व CM हरीश रावत को क्यों मिल रही है बधाई ?

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) राज्य की त्रिवेंद्र सरकार ने बजट सत्र के दौरान गैरसैंण को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर दिया है। बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विधानसभा में इसकी घोषणा की।

त्रिवेंद्र सरकार के इस फैसले के बाद से ही पहाड़ में राजधानी के हितैषी उन्हें बधाई देने के साथ उनका धन्यवाद कर रहे हैं। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को भी इसके लिए बधाईयां मिल रही हैं।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और प्रदेश के पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि लोग उन्हें विधानसभा स्थल चुनने के लिए फोन पर बधाई दे रहे हैं।

हरीश रावत इस संबंध में अपने फेसबुक पेज पर लिखते हैं-  मुझे कई लोगों के मैसेज और टेलीफोन आ रहे हैं, वो मुझे भराड़ीसैण को लेकर बधाई दे रहे हैं, कह रहे हैं कि, बर्फ के साथ भराड़ीसैण का दृश्य अद्भुत दिखाई दे रहा था। स्थल चयन के लिये, लोग मेरी प्रशंसा कर रहे थे। मगर वास्तविकता यह है कि, स्थल का चयन का श्रेय यदि दिया जाना है, तो वो तत्कालिक हमारे स्पीकर, गोविन्द सिंह कुंजवाल जी और मुझे पता चला है कि, सतपाल महाराज जी ने इस सुझाव को आगे बढ़ाया और अनुसूया प्रसाद मैखुरी जी को दिया जाना चाहिये, विजय बहुगुणा जी मुख्यमंत्री थे, उनको भी यह श्रेय जाता है।

गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी त्रिवेंद्र सरकार ने बनाई, फिर पूर्व CM हरीश रावत को क्यों मिल रही है बधाई ?

हरीश रावत आगे लिखते हैं- मगर मैं, उन सब लोगों को जिन्हें भराड़ीसैण का स्थल पसन्द आ रहा है, बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ। मेरी पसन्द तो गैरसैंण से लगे हुये ढलान थे। बहरहाल मैंने, पहले से ही चयनित स्थान को ही आगे बढ़ाना और वहीं पर विधानसभा भवन बनाना उचित समझा, क्योंकि विलम्ब गैरसैंण के कौज को नुकसान पहुंचा सकता था। आज कोई भी सरकार आये, कोई उसको ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर रहा है, तो कोई कल उसको राजधानी घोषित करेगा। मगर बुनियाद पड़ गई, विधानसभा भवन बनने के साथ अब किसी की हिम्मत नहीं है कि, गैरसैंण को लेकर ना-नुकर कर सके।

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