मसूरी_कॉन्क्लेव के बाद क्यों तेजी से बुढ़ापा महसूस कर रहे हैं हरीश रावत ? जानिए
देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) हिमालयी राज्यों के हितों के लिए मसूरी में हुए हिमालयन कॉन्क्लेव को लेकर हरीश रावत काफी निराश नजर आ रहे हैं। फेसबुक में लिखी उनकी ताजा पोस्ट से तो कम से कम यही संकेत मिल रहे हैं। हरीश रावत की नाराजगी राष्ट्रीय मीडिया से भी है, जिसने इस महत्वपूर्ण कॉन्क्लेव को प्रमुखता
देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) हिमालयी राज्यों के हितों के लिए मसूरी में हुए हिमालयन कॉन्क्लेव को लेकर हरीश रावत काफी निराश नजर आ रहे हैं। फेसबुक में लिखी उनकी ताजा पोस्ट से तो कम से कम यही संकेत मिल रहे हैं। हरीश रावत की नाराजगी राष्ट्रीय मीडिया से भी है, जिसने इस महत्वपूर्ण कॉन्क्लेव को प्रमुखता नहीं दी।
हरीश रावत अपने फेसबुक पेज पर लिखते हैं कि मसूरी_कॉन्क्लेव के बाद बूढ़ा होता हुआ हरीश रावत बहुत तेजी से बुढ़ापा महसूस कर रहा है। राष्ट्रीय पेपर्स ने जिस तरीके से #मसूरी में हुये हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के कॉन्क्लेव की उपेक्षा की है, मैंने राजधानी से छपने वाले 8 पेपर खंगाल डाले हैं अभी तक मुझे एक छोटी सी न्यूज़ भी नहीं देखने को मिली है। उत्तर प्रदेश में नाटक हो रहा है जो खूब छप रहा है और #उत्तराखंड में #हिमालय और देश की पर्यावरणीय सुरक्षा के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा पर विचार हो रहा है लेकिन छप नहीं रहा है, बहुत निराश हुआ।
हरीश रावत ने आगे लिखा कि निराश तो मैं उस समय ही हो गया था जब कॉन्क्लेव में केवल चार मुख्यमंत्री आये। मेरी निराशा तब और बढ़ गई जब Nirmala Sitharaman जी ने अपने भाषण में कोई संपुष्ट संकेत बुनियादी बातों को मानने के नहीं दिये। #ग्रीन_बोनस से लेकर जो कंस्ट्रक्शन कॉस्ट है वेरिएशन है जो कंस्ट्रक्शन कॉस्ट पर उसको और लाइवलीहुड से संबंधित जो सवाल हैं हिमालयी क्षेत्रों के उनको और इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट की जो रिक्वायरमेंट है नेशनल प्रोजेक्ट के रूप में रेलवेज आदि को बनाने की, इन सब पर उनकी चुप्पी दंश दे गई। गवर्नर के हस्ताक्षर भी फ़ॉर करके हो गये, राज्यपाल की उपस्थिति भी किसी भी रिजॉल्यूशन में फ़ॉर करके हो गई मगर उसके बावजूद भी नेशनल पेपर्स ने संज्ञान नहीं लिया तो आप समझ सकते हैं चोट तो पहुंची है।
हालांकि हरीश रावत ने त्रिवेंद्र सरकार की पहल की प्रशंसा की और लिखा कि मैं मसूरी कॉन्क्लेव के उद्देश्य और उसके पीछे जो भावनात्मक लगाव राज्य सरकार का था, उसकी प्रशंसा करता हूं, उनके प्रयासों की प्रशंसा करता हूं लेकिन दिल्ली के मीडिया ने भी और दिल्ली के दिलवालों ने भी जिस प्रकार से मसूरी कॉन्क्लेव की उपेक्षा की, होना यह चाहिए था कि निर्मला सीतारमण जी को लेकर के Narendra Modi जी खुद आते या Amit Shah जी आते। भाजपा में तो समाचार तभी बनता है या संज्ञान लिया जाता है जब नरेंद्र मोदी जी और अमित शाह जी खुद आते हैं। अब मेरा मुख्यमंत्री Trivendra Singh Rawat जी से आग्रह है कि फिर पहल करें और जो संस्तुतियों हैं उनको जरा सा और कंक्रीट शेप देकर प्रधानमंत्री और अमित शाह जी से मिलें और उनके श्रीमुख से कुछ कहलवायें।
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