तो क्या भंग होगी उत्तराखंड विधानसभा ?

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तो क्या भंग होगी उत्तराखंड विधानसभा ?

उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के मुद्दे पर बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई होगी। ऐसे में सबकी नजरें सर्वोच्च न्यायलय पर टिकी हैं कि आखिर देश की सबसे बड़ी अदालत इस पर क्या फैसला देगी। अगर सर्वोच्च न्यायालय में अनुकूल फैसला नहीं आया तो केंद्र के सामने राष्ट्रपति शासन को संसद के दोनों सदनों से


उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के मुद्दे पर बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई होगी। ऐसे में सबकी नजरें सर्वोच्च न्यायलय पर टिकी हैं कि आखिर देश की सबसे बड़ी अदालत इस पर क्या फैसला देगी। अगर सर्वोच्च न्यायालय में अनुकूल फैसला नहीं आया तो केंद्र के सामने राष्ट्रपति शासन को संसद के दोनों सदनों से पारित कराना मजबूरी होगा, जो काफी मुश्किल काम है। जाहिर है राज्यसभा में भाजपा के पास बहुमत ना होने से उसकी मुश्किल बढ़ सकती है।

हालांकि केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली सदन में कह चुके हो कि यह संकट कांग्रेस के अंदरूनी फूट का नतीजा है और हरीश रावत सरकार के अल्पमत में होने के कारण उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाया गया लेकिन यदि सर्वोच्च न्यायालय कोई निर्णय नहीं लेता तो केंद्र की मजबूरी है कि उत्तराखंड में लागू राष्ट्रपति शासन को संसद के दोनों सदनों से पास कराना होगा। लोकसभा में तो भाजपा का बहुमत है, लेकिन यह प्रस्ताव राज्यसभा में गिरना तय है। यही मोदी सरकार की चिंता की सबसे बड़ी वजह है। ऐसे में ये भी संभावना है कि केन्द्रीय कैबिनेट उत्तराखंड विधानसभा को भंग करने की सिफारिश कर दे। वो भी इस स्थिति में ही हो सकता है जब राज्यपाल ये रिपोर्ट केन्द्र को भेजें कि उत्तराखंड में किसी भी राजनीतिक दल की सरकार बनने की संभावनाएं क्षीण हैं। बहरहाल फिलहाल तो सबकी नजरें सर्वोच्च न्यायालय में है।

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