राष्ट्रपति शासन मामला | जब कोर्ट ने कहा- प्यार और जंग में सब जायज़

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राष्ट्रपति शासन मामला | जब कोर्ट ने कहा- प्यार और जंग में सब जायज़

नैनीताल हाईकोर्ट में राष्ट्रपति शासन और बजट अध्यादेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी। मंगलवार को राज्य की पैरवी कर रहे हरीश साल्वे ने अपनी दलीलें कोर्ट के सामने रखीं। बहस के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि विधानसभा में 18 मार्च को विनियोग विधेयक पास हो गया था।


राष्ट्रपति शासन मामला | जब कोर्ट ने कहा- प्यार और जंग में सब जायज़

राष्ट्रपति शासन मामला | जब कोर्ट ने कहा- प्यार और जंग में सब जायज़नैनीताल हाईकोर्ट में राष्ट्रपति शासन और बजट अध्यादेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी। मंगलवार को राज्य की पैरवी कर रहे हरीश साल्वे ने अपनी दलीलें कोर्ट के सामने रखीं। बहस के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि विधानसभा में 18 मार्च को विनियोग विधेयक पास हो गया था। जिस पर मुकुल रोहतगी ने कहा कि अगर विधानसभा में विधेयक पास हो गया था तो रावत सरकार को फ्लोर टेस्ट के लिए आमंत्रित ‌क्यों किया गया।

28 मार्च को फ्लोर टेस्ट रखने की क्या जरूरत थी

मुकुल रोहतगी ने कोर्ट से कहा कि जब 21 मार्च को सदन की कार्यवाही तय की गई थी तो 28 मार्च को फ्लोर टेस्ट रखने की क्या जरूरत थी जबकि 21 मार्च को ही फ्लोर टेस्ट रखा जा सकता था। उन्होंने कहा की राज्यपाल ने 28 मार्च को फ्लोर टेस्ट रखने को नहीं कहा था।

प्यार और जंग में सब जायज

सुनवाई के दौरान शीर्ष वकीलों की बहस के बीच हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से कहा, “प्यार और जंग में सब जायज़ होता है…”

पिछले माह राज्य की हरीश रावत सरकार को बर्खास्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को कोर्ट में चुनौती देने वाली कांग्रेस के खिलाफ केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अपनी बहस का समापन करते हुए कहा था, “हरीश रावत को अपनी स्थिति को बचाए रखने के लिए एक और मौका नहीं दिया जा सकता…”, जिसके बाद कोर्ट ने यह टिप्पणी की।

वोटर व्यक्ति को वोट देता है

कोर्ट ने कहा जब एक वोटर वोट देता है, तो वह सिर्फ पार्टी के लिए नहीं, व्यक्ति के लिए भी वोट देता है। केंद्र को वोटर के निर्णय का सम्मान करना चाहिए। इस पर मुकुल रोहतगी ने कहा, जो काम हरीश रावत सरकार ने किया है, वह इस केस के दायरे में आता ही नहीं। अटॉर्नी जनरल का कहना था कि कोर्ट को सिर्फ 18 मार्च के घटनाक्रम तक सीमित रहना चाहिए, जब 70-सदस्यीय विधानसभा के 35 सदस्यों ने हरीश रावत के खिलाफ वोट दिया था।

हरीश साल्वे का विरोध

वहीं राज्य की तरफ से पैरवी करने पहुंचे हरीश साल्वे का याचिकाकर्ता हरीश रावत के अधिवक्ता अभिषेक मनुसिंघवि ने विरोध किया, लेकिन न्यायालय ने हरीश साल्वे को सुनने की इच्छा जताई। मुकुल रोहतगी के बाद हरीश साल्वे ने राज्य सरकार के पक्ष में पैरवी करना शुरू किया।

राज्य के लिए पैरवी करने हुए हरीश साल्वे ने न्यायालय से कहा की हॉर्स ट्रेडिंग के पुख्ता सबूत होना चिंता की बात है। सदन में बिल गिरना भी चिंता का बड़ा विषय है। उन्होंने कहा की अगर कोई भी राष्ट्रपति प्रभावशाली होते तो भ्रष्टाचार के इतने सबूत होने पर विधानसभा भंग करके चुनाव कराने के लिए संस्तुति दे देते। उन्होंने कहा‌ कि उत्तराखंड के राज्यपाल ने राष्ट्रपति को पूरी स्थिति से अवगत कराया था।

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