नवजात को मृत बता थरमॉकोल बॉक्स में पैक कर घरवालों को दिया, 8 घंटे बाद आयी रोने की आवाज, फिर…

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नवजात को मृत बता थरमॉकोल बॉक्स में पैक कर घरवालों को दिया, 8 घंटे बाद आयी रोने की आवाज, फिर…

चैन्नई (उत्तराखंड पोस्ट) चेन्नई से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है जिसके मुताबिक यहां एक प्री-मेच्योर बच्ची के जन्म के बाद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अस्पताल में उसे बॉक्स के अंदर पैक करके घरवालों को दे दिया गया। लगभग आठ घंटे बाद परिजनों ने बच्ची के अंतिम सस्कार के


चैन्नई (उत्तराखंड पोस्ट) चेन्नई से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है जिसके मुताबिक यहां एक प्री-मेच्योर बच्ची के जन्म के बाद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अस्पताल में उसे बॉक्स के अंदर पैक करके घरवालों को दे दिया गया। लगभग आठ घंटे बाद परिजनों ने बच्ची के अंतिम सस्कार के लिए उसे रखा तो वह रोने लगी।

जानकारी के मुताबिक आंध्र प्रदेश की रहने वाली सुरेशा को 6 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसके प्रसव की 8 अप्रैल तारीख दी गई थी लेकिन उसने सामान्य प्रसव से एक बच्ची को जन्म दिया। जन्म के बाद बच्ची रोई नहीं। डॉक्टरों ने जांच की तो बच्ची के दिल की धड़कन भी नहीं चल रही थी। उन्होंने बच्ची के पिता संदीप नायडू से बच्ची के जिंदा न होने की बात कही।

डॉक्टरों ने बच्ची को एक बॉक्स में पैक करके उन्हें दे दिया। संदीप ने बताया कि उन्होंने बॉक्स कार की डिक्की में रखा और फिर अपने गांव आ गया। गांव में आकर उन लोगों ने बच्ची के अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू कर दी। कुछ देर बाद उन्हें बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी। उन्होंने बॉक्स खोला तो हैरान रह गए। घरवाले बच्ची को अस्पताल ले गए। यहां से बच्ची को चेन्नै अस्पताल रेफर कर दिया गया। ऐंबुलेंस में बच्ची को दिए जाने के लिए कोई सुविधा नहीं था। बच्ची के चेन्नै के अस्पताल ले जाया गया।

यह चमत्कार ही था कि बच्ची बिना ऑक्सिजन और बिना किसी लाइफ सपॉर्ट के उस बॉक्स में आठ घंटे तक जिंदा रही। इतना ही नहीं, उसके बाद भी बच्ची को अस्पताल ले जाने में लगभग तीन घंटे का समय लगा। बच्ची तीन महीने की हो चुकी है और पूरी तरह से स्वस्थ्य है।

डॉक्टरों ने बताया कि तीन महीने पहले बच्ची को जब अस्पताल लाया गया तो उसका ब्लड प्रेशर लो था। प्लस बहुत धीमी चल रही थी। वह ठीक से सांस भी नहीं ले पा रही थी। फेफड़े परिपक्व नहीं थे और उसका पूरा शरीर पीला पड़ा था। बच्ची के बचने की कोई उम्मीद नहीं थी।

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