IAS अधिकारियों ने बताया- प्रदेश में कैसे सुधरेगा शिक्षा का स्तर ?

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IAS अधिकारियों ने बताया- प्रदेश में कैसे सुधरेगा शिक्षा का स्तर ?

देहरादून [उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो] मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गुरूवार को सचिवालय में अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा संघ (उत्तराखण्ड काडर) के सम्मेलन में आईएएस अधिकारियों से हाल ही में उनके स्कूल भ्रमण के अनुभवों की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने पूछा कि छात्र-छात्राओं से औपचारिक बातचीत के अतिरिक्त क्या अधिकारियों ने छात्रों से व्यक्तिगत बातचीत कर


देहरादून [उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो] मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गुरूवार को सचिवालय में अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा संघ (उत्तराखण्ड काडर) के सम्मेलन में आईएएस अधिकारियों से हाल ही में उनके स्कूल भ्रमण के अनुभवों की जानकारी ली।

मुख्यमंत्री ने पूछा कि छात्र-छात्राओं  से औपचारिक बातचीत के अतिरिक्त क्या अधिकारियों ने छात्रों से व्यक्तिगत बातचीत कर उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास किया ?  उन्हें छात्रों की क्या-क्या समस्याएं पता चली तथा सरकार उन्हें कैसे दूर कर सकती है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रदेश में एक ऐसा डाटा बैंक तैयार करना होगा जिसमें विभिन्न विभागों सेवानिवृत अधिकारी, कार्मिक, वालेन्टीयर्स, वर्तमान अधिकारी, ऐसे लोगों की जानकारी हो जो सरकारी विद्यालयों में पढ़ाने के इच्छुक हों, जो अपना कुछ समय विद्यालयों बिताना चाहे। इसके साथ उन्होंने अवकाश के दिनों में अध्यापकों के लिए विभिन्न विषय विशेषज्ञों और मोटिवेशनल स्पीकर्स  द्वारा विशेष कार्यशाला भी आयोजित करने की सलाह दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वप्रेरित अध्यापक की कार्यक्षमता में गुणात्मक वृद्धि होती है। मोटिवेटेड टीचर्स से विद्यार्थियों को बहुत लाभ होता है।

प्रमुख सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में गुणवत्ता सुधार हेतु सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाये जाने की आवश्यकता है।

प्रमुख सचिव श्रीमती मनीषा पंवार ने कहा कि राज्य में पर्यटन व बागवानी की अपार संभावनाओं को देखते हुए पाठयक्रम में पर्यटन, हाॅर्टीकल्चर आदि को शामिल करना आवश्यक है। परम्परागत सरकारी नौकरियों से हटकर छात्रों को कृषि व अन्य स्टार्ट अप के लिये प्रोत्साहित किया जाना भी आवश्यक है। सभी स्कूलों में 11वी व 12वी कक्षा के छात्र-छात्राओं को बेसिक कम्प्यूटर ट्रेनिंग तथा इंलिश स्पीकिंग के कोर्स अनिवार्य रूप से करवाने होंगे। विद्यालयों में कैरियर काउंसलिंग की भी व्यवस्था जरूरी है ताकि छात्र-छात्राएं  12वी कक्षा के बाद जिस क्षेत्र में जाना चाहते है उसका उचित मार्गदर्शन उन्हें समय से मिल जाय।

सचिव डा0भूपिन्दर कौर औलख ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में फोकस मात्र सुविधाओं के विकास से हटाकर विद्यार्थियों के विकास व क्षमता विकास पर करना होगा। शिक्षकों की कार्यक्षमता का मूल्यांकन छात्रों के परिणामों के आधार पर किया जाना चाहिये।

सचिव अमित नेगी ने सुझाव दिया कि दूरस्थ क्षेत्रों में खुलने वाले सरकारी स्कूलों के साथ ही वहां प्राइवेट स्कूलों को भी प्रोत्साहित करना चाहिये जिससे एक बड़े लक्षित वर्ग तक शिक्षा समान रूप में पहंुचाई जा सके।

सचिव श्रीमती सौजन्या ने सुझाव दिया कि रमसा के अन्तर्गत मिलने वाली राशि का प्रयोग विद्यालयों में ई-लर्निंग, वीडियों लर्निंग, डिजिटल लर्निग को बढावा देने में किया जा सकता है।

जिलााधिकारी ऊधमसिंहनगर डाॅ0नीरज खैरवाल ने जिलें में निम्न आय वर्ग के परिवारों के बालिकाओं की विद्यालयों में कम हाजिरी के बारे में बताया। उन्होंने शिक्षक-अभिभावक बैठक व पारस्परिक चर्चाओं का सुझाव दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि प्राइवेट संस्थाएं जो सरकारी स्कूलों को गोद लेना चाहते है तथा वहां मानव संसाधन व अन्य सुविधाओं का विकास करना चाहते है उनके प्रति उदारता की नीति अपनानी होगी तथा प्रशासन को उनका सहयोग करना होगा। सीएसआर व पीपीपी आधार पर भी शिक्षा गुणवता में सुधार किया जा सकता है।

जिलाधिकारी पिथौरागढ़ सी0रविशंकर ने बताया कि सरकार की स्मार्ट क्लासेस का प्रयोग पिथौरागढ़ के दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों में काफी सफल सिद्ध हो रहा है। हमें मजबूत डिजिटल नेटवर्क के माध्यम से ई-लर्निंग व डिजिटल लर्निंग को दूरस्थ क्षेत्रों में पहुंचाना होगा।

जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में मात्र अवसंरचना सुविधाओं जैसे फर्नीचर व अन्य सुविधाओं के विकास पर ही ध्यान नही देना होगा बल्कि अच्छे व प्रेरणादायक शिक्षकों की सहायता से भी शिक्षा की गुणवता में बहुत सुधार किया जा सकता है। वीडियों शेयरिंग, डिजिटल लर्निंग को प्रोत्साहित करना होगा।

प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी नरेन्द्र भण्डारी ने सुझाव दिया कि ई-लर्निंग, वीडियों व डिजिटल लर्निंग का पूरा लाभ सभी वर्गो के छात्रों तक पहुंचे, इसके लिए इण्टरनेट पर उपलब्ध ई-क्लासेस के वीडियों को कुमाऊंनी, गढ़वाली व अन्य स्थानीय बोलियों में डब करवाकर विद्यालयों में दिखाया जाना चाहिये।

जिलाधिकारी देहरादून ने सुझाव दिया कि दसवीं व बारहवीं कक्षाओं में छात्र-छात्राओं के उत्तीर्ण होने का प्रतिशत बढ़ाने पर विशेष ध्यान देना होगा, साथ ही अनुत्तीर्ण स्कूली छात्रों के भविष्य व शिक्षा के बारे में विचार किया जाना चाहिए।

 

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