20 हजार फीट की ऊंचाई पर ITBP जवानों ने लिखी नई वीर गाथा, असंभव को बनाया संभव, जानिए

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20 हजार फीट की ऊंचाई पर ITBP जवानों ने लिखी नई वीर गाथा, असंभव को बनाया संभव, जानिए

नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड के नंदा देवी (ईस्ट) के निकट से लापता हुए आठ पर्वतारोहियों के शवों को तलाशना और उन्हें बेस कैंप तक ले आना, इस असंभव रेस्क्यू ऑपरेशन को संभव बनाने वाले आईटीबीपी के जवानों को सोमवार को नई दिल्ली में आईटीबीपी के डीजी एसएस देसवाल ने सोमवार को रेस्क्यू टीम के


20 हजार फीट की ऊंचाई पर ITBP जवानों ने लिखी नई वीर गाथा, असंभव को बनाया संभव, जानिए

नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड के नंदा देवी (ईस्ट) के निकट से लापता हुए आठ पर्वतारोहियों के शवों को तलाशना और उन्हें बेस कैंप तक ले आना, इस असंभव रेस्क्यू ऑपरेशन को संभव बनाने वाले आईटीबीपी के जवानों को सोमवार को नई दिल्ली में आईटीबीपी के डीजी एसएस देसवाल ने सोमवार को रेस्क्यू टीम के सभी 15 ‘डेयरडेविल्स’ सदस्यों को नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया।

इस दल में पर्वतारोही रतन सिंह सोनाल, द्वितीय कमान (खोजी दल के नेता), अनूप कुमार, उप सेनानी (खोजी दल के उपनेता), निरीक्षक (जीडी) हेमंत गोस्वापमी, हैड कांस्टे्बल (जीडी) देवेन्द्र सिंह, हैड कांस्टेबल (जीडी) कलम सिंह, सिपाही (जीडी) कपिल देव, सिपाही (जीडी) प्रदीप पंवार, सिपाही (जीडी) भरत लाल, सिपाही (जीडी) जयप्रकाश सिंह, सिपाही (जीडी) संजय सिंह, सिपाही (जीडी) सुरेंद्र सिंह, एवं स्टाफ सिपाही (मेडिक्स) धीरेंद्र प्रताप, सिपाही (कुक) देवेंद्र सिंह, सिपाही (कुक) मंजीत सिंह एवं हेड कांस्टेबल (टेली) भाग्यशाली मीणा शामिल थे।

आईटीबीपी के जवानों ने दम दिखाते हुए 500 घंटे में आठ पर्वतारोहियों में से सात के पार्थिव शरीर खोज निकाले। नंदा देवी चोटी से करीब 7500 फुट की गहराई में पड़े शवों को बेस कैंप तक लाने के लिए जवानों ने जिस बहादुरी का परिचय दिया, वह इतिहास में अनूठा है।

यह रेस्क्यू ऑपरेशन 14 जून को शुरू हुआ था। एपीएस निम्बडिया, डीआइजी आईटीबीपी सेक्टर बरेली ने इस संपूर्ण अभियान की देखरेख की और दल को हर संभव सहायता पहुंचाई। देशवाल के मुताबिक, यह ऑपरेशन विश्व के कठिनतम भू-भाग पर सबसे मुश्किल खोज व पार्थिव शरीरों को नीचे लाने वाले सफल अभियान के लिए याद किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में इस प्रकार के रेस्क्यू ऑपरेशनों की आवश्यकताओं के मद्देनजर आईटीबीपी के ट्रेंड पर्वतारोहियों की देखरेख में 05 राज्यों (जम्मू व कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम व अरुणाचल प्रदेश प्रत्येक में 01) के उच्च तुंगता वाले क्षेत्रों में 05 विशेषज्ञ टीमों का गठन किया जाएगा। आईटीबीपी हिमालय में आपदा की परिस्थितियों के लिए फर्स्ट रेस्पोंडर है। बल को इस प्रकार के अभियानों में विशेषज्ञता हासिल है।

इस अभियान में ब्रिटेन, अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया के पर्वतारोहियों की मृत्यु हुई है। आईटीबीपी ने शवों को पर्वतारोहण कौशल से सफलतापूर्वक निकालकर प्रशासन को सौंप दिया। 08 पर्वतारोहियों में 04 ब्रिटिश (मार्टिन मोरान-अभियान के नेता, जोहन मेकलारेन, रूपर्ट व्हीवेल व रिचर्ड पेयने), 02 अमेरिकन (एन्थोनी सुडेकुम व रोनॉल्ड बेईमेल), और एक-एक ऑस्ट्रेपलिया (रूथ मैककेन्स) और भारत (चेतन पाण्डेय, संपर्क अधिकारी, भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन) से थे। 04 ब्रिटिश पर्वतारोहियों को 2 जून को हेलीकॉप्टर से सकुशल बाहर निकाल लिया गया, जबकि 03 जून, 2019 को एरियल रैकी के दौरान कुछ पर्वतारोहियों के शरीरों को देखा गयाI 5 जून को हेलीकॉप्टर से वहां उतरने का प्रयास किया गया, लेकिन अत्यधिक हवा गति, वातावरण की सीमाएं, और विषम भू-भाग के कारण यह सफल नहीं हुआ। इसके बाद आईटीबीपी के पर्वतारोहियों की एक रेस्क्यू टीम का गठन किया गया, जिसमें कुल 11 पर्वतारोही दल समेत 15 सदस्य शमिल थे।

हिमालय के उच्च क्षेत्र में कठिन मौसमी हालातों, तेज बर्फानी हवाएं, ऊबड़-खाबड़ भू-भाग, व तीक्ष्ण ढलानों में आईटीबीपी के खोजी अभियान दल के ‘डेयरडेविल्स’ आगे बढ़ते रहे। 500 घंटे तक पर्वतारोहण तकनीक व प्रशिक्षण दक्षता का परिचय देते हुए 23 जून, को नंदा देवी ईस्ट में लगभग 19000 फीट की ऊंचाई पर 07 पर्वतारोहियों के मृत शरीरों व कुछ उपकरणों को रिकवर कर उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया। खोजे गए 07 मृत शवों में 01 महिला पर्वतारोही का शव भी शामिल था। आठवें पर्वतारोही के शव को काफी प्रयासों के बावजूद ढूंढा नहीं जा सका।

पहले सभी मृत शवों को वहां से हेलीकॉप्टर से निकालने का प्रयास किया गया जो सफल नहीं हो सका। 29 व 30 जून को एयर रैकी के उपरांत यह निर्णय लिया गया कि सभी मृत शवों को पहले उठाकर आईटीबीपी के पर्वतारोहियों द्वारा निम्न तुंगता वाले क्षेत्र में लाया जाए। इसके बाद आईटीबीपी के खोजी अभियान दल के सदस्यों द्वारा पहले दिन लगभग 11 घंटे के अथक प्रयासों के बाद एक जुलाई को 04 शवों को 18900 फीट पर बेस कैंप-1 पर लाया गया। अगले तीन बचे हुए शवों को भी उसी स्थान पर लाया गया। तीन जुलाई को सभी सातों शवों को वायु सेना की मदद से बेस कैंप 1 से आईटीबीपी मुनस्यारी और फिर पिथौरागढ़ लाकर उन्हें जिला प्रशासन को सौंप दिया गया। जवानों ने कहा, वे रात के समय शवों को बर्फ में दबाकर रख देते थे ताकि उनके खराब होने की प्रक्रिया धीमी बनी रहे।

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