इन तरीकों से आप पर हर वक्त है आयकर विभाग की नज़र

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इन तरीकों से आप पर हर वक्त है आयकर विभाग की नज़र

कर चोरी की रोकथाम के लिए आयकर विभाग आपके लगभग हरेक खर्च पर नजर रख रहा है। जहां जहां आप महंगी सेवाओं और वस्तुओं की खऱीद कर रहे हैं, वहां वहां आपको पैन कार्ड तो देना ही होगा, साथ ही कुछ मामलो में जिन कंपनियों से ये सेवाओं या वस्तुएं ले रहे हैं, उन पर


कर चोरी की रोकथाम के लिए आयकर विभाग आपके लगभग हरेक खर्च पर नजर रख रहा है। जहां जहां आप महंगी सेवाओं और वस्तुओं की खऱीद कर रहे हैं, वहां वहां आपको पैन कार्ड तो देना ही होगा, साथ ही कुछ मामलो में जिन कंपनियों से ये सेवाओं या वस्तुएं ले रहे हैं, उन पर भी जिम्मेदारी है कि वह इन बड़ी खरीदफरोख्त की सूचना टैक्स डिपार्टमेंट को दे।

इन तरीकों से आप पर है आयकर विभाग की नजर

  • आपका बैंक टैक्स डिपार्टमेंट को सूचित करेगा यदि आपने कैश डिपॉजिट किया है, डिमांड ड्राफ्ट बनवाया है या फिर एफडी करवाई है, बशर्ते यह संबंधित वित्तीय वर्ष में समुच्चय रूप में 10 लाख रुपए या उससे ज्यादा हो।
  • प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार की यह जिम्मेदारी है कि वह किसी भी अचल संपत्ति जोकि 30 लाख रुपए से अधिक की हो, की खऱीददारी या बिक्री की सूचना देगा।
  • अब यह नियम लागू हो चुका है कि यदि 50 लाख रुपए से अधिक की प्रॉपर्टी आप खरीदते हैं तो खरीददार को 1 फीसदी टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स यानी टीसीएस चुकाना होगा।
  • 10 लाख रुपए या इससे अधिक के शेयर्स, डिबेंचर्स या म्यूचुअल फंड्स की खरीददारी की सूचना कंपनियों को टैक्स विभाग को देनी होगी।
  • यदि आप सालाना 50 लाख रुपए से अधिक कमाते हैं तो आपको अपनी संपत्ति और देनदारियों का ब्यौरा आईटीआर के एक नए फॉर्म में अलग से देना होगा।
  • अब 2 लाख रुपए या इससे अधिक की चीजों और सेवाओं की खरीद पर ग्राहक को पैन नंबर देना अनिवार्य है।
  • 1 जून से यह भी लागू हो चुका है कि 2 लाख रुपए या इससे अधिक की सेवाओं या वस्तुओं की नकद खरीद या बिक्री पर भी टीसीएस कटेगा।
  • एक्सपर्ट्स के मुताबिक, टीडीएस द्वारा भी आयकर विभाग करदाता की आय पर नजर रखता है। यदि एफडी से होने वाली इनकम सालाना 10 हजार रुपए से अधिक हो तो बैंक इस पर टीडीएस काटता है।
  • 10 लाख रुपए से अधिक की कार खरीद पर 1 फीसदी की दर से लग्जरी टैक्स लगता है. यह कार बेचने वाले से वसूला जाता है और एक्स शोरूम प्राइस पर लगता है।

यहां पैन नंबर जरूरी

  • टू वीलर्स को छोड़कर किसी भी तरह के वाहन की खरीद या बिक्री पर।
  • बैंक या डीमैट अकाउंट खोलने पर, क्रेडिट कार्ड अप्लाई करते समय।
  • 50 हजार से अधिक की एफडी खोलते समय।
  • 50 हजार रुपए से अधिक के इंश्योरेंस पेमेंट पर।
  • विदेशी दौरों, रेस्टॉरेंट या होटलों के बिल यदि नकद रूप में 50 हजार से अधिक के चुकाए जा रहे हों।
  • म्युचूअल  फंड्स, डिबेंचर्स, बॉन्ड्क की खरीद पर, यदि वह 50 हजार रुपए से अधिक के हों।
  • 50 हजार या उससे अधिक नकदी बैंक में जमा करवाते समय।

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