चीन को साधने के लिए साथ आए भारत और अमेरिका

  1. Home
  2. Country

चीन को साधने के लिए साथ आए भारत और अमेरिका

भारत ने समुद्री इलाकों में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए अमेरिका से सैद्धांतिक तौर पर समझौता कर लिया है। चीन के इस असर से अमेरिका पहले भी नाखुशी जाहिर कर चुका है। इसको देखते हुए भारत और अमेरिका जल्द ही लॉजिस्टिक सपोर्ट एग्रीमेंट पर दस्तखत करने वाले हैं। अमेरिकी रक्षा मंत्री एश कार्टर


चीन को साधने के लिए साथ आए भारत और अमेरिका

चीन को साधने के लिए साथ आए भारत और अमेरिकाभारत ने समुद्री इलाकों में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए अमेरिका से सैद्धांतिक तौर पर समझौता कर लिया है। चीन के इस असर से अमेरिका पहले भी नाखुशी जाहिर कर चुका है। इसको देखते हुए भारत और अमेरिका जल्द ही लॉजिस्टिक सपोर्ट एग्रीमेंट पर दस्तखत करने वाले हैं।

अमेरिकी रक्षा मंत्री एश कार्टर ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि दोनों देशों को इस मकसद से आगे आना होगा। अमेरिका लंबे समय से भारत से इसके लिए आगे बढ़ने कहता रहा है। समझौता हो जाने के बाद दोनों देशों की सभी सेनाएं एक-दूसरे की मिलिट्री सप्लाइ, रिपेयर, जंगी शिप्स और ईंधन भरने के लिए प्लेटफॉर्म्स यानी जमीनी, हवाई और समुद्री सैन्य ठिकाने वगैरह का इस्तेमाल कर सकते हैं। समझौते पर दस्तखत होने में अभी कुछ वक्त लगने की गुंजाइश है।

एश कॉर्टर ने 10-12 अप्रैल के अपने भारत दौरे के आखिरी दिन बताया कि रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से मुलाकात काफी सकारात्मक रही। उन्होंने कहा कि दोनों देशों में एलएसए पर आगे बढ़ने के लिए रजमांदी हो गई है। इसे व्यवहारिक रूप भी जल्द दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम ड्राफ्ट को आखिरी रूप दे रहे हैं। इसके बाद दोनों देश कमर्शियल शिपिंग इंफॉर्मेशन एक्सचेंज एग्रीमेंट की दिशा में भी आगे बढ़ेंगे।

दूसरी ओर भारत लंबे समय से अपनी सैन्य स्वायत्तता के मद्देनजर इस समझौते पर चिंता जताता रहा है। समझौते पर दस्तखत हो जाने के बाद अमेरिका को भारतीय सैन्य ठिकानों पर आवाजाही की इजाजत मिल जाएगी। इसके परिणामों के विभिन्न पहलुओं पर लगातार विचार किया जा रहा है।

केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में पड़ोसी देश चीन के बढ़ते प्रभाव और पाकिस्तान के साथ बढ़ती उसकी नजदीकी को देखते हुए अमेरिका को इस समझौते को लेकर सकारात्मक संकेत मिले हैं। बीते दिनों अमेरिका ने पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान देने के बाद अमेरिका ने भारत को एफ-16 और एफ-18 देने का वादा किया है। फ्रांस से राफेल डील न हो पाने की वजह से भारत ने इसमें दिलचस्पी भी दिखाई है।

uttarakhand postपर हमसे जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक  करे , साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार ) के अपडेट के लिए हमे गूगल न्यूज़  google newsपर फॉलो करे