यहां आज तक नहीं खिला ‘कमल’, तो यहां खाली रहा कांग्रेस का ‘हाथ’

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यहां आज तक नहीं खिला ‘कमल’, तो यहां खाली रहा कांग्रेस का ‘हाथ’

उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से बारी – बारी से भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने प्रदेश की सत्ता तो हासिल की लेकिन कुछ विधानसभा सीटें ऐसी भी हैं, जहां पर ना तो कभी कमल खिल पाया और ना ही हाथ का जादू चल पाया। इन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस की नो एंट्री दोनों


यहां आज तक नहीं खिला ‘कमल’, तो यहां खाली रहा कांग्रेस का ‘हाथ’

उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से बारी – बारी से भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने प्रदेश की सत्ता तो हासिल की लेकिन कुछ विधानसभा सीटें ऐसी भी हैं, जहां पर ना तो कभी कमल खिल पाया और ना ही हाथ का जादू चल पाया। इन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस की नो एंट्री दोनों की पार्टियों के लिए चिंता का विषय है।

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20 सीटों का रोचक गणित | सीटों की संख्या की अगर बात करें तो प्रदेश की 70 विधानसभा सीटों में से ऐसी सीटों की संख्या 20 है। इन 20 विधानसभा सीटों में से भी भाजपा के लिए हालात ज्यादा सोचनीय हैं क्योंकि भाजपा का कमल 11 विधानसभा सीटों पर मुरझाया ही रहा। वहीं कांग्रेस राज्य गठन के बाद से 8 विधानसभा सीटों की लक्ष्मण रेखा नहीं लांघ पाई है। वहीं एक सीट ऐसी भी है जहां पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों को जनता ने नकार दिया।

यहां आज तक नहीं खिला ‘कमल’, तो यहां खाली रहा कांग्रेस का ‘हाथ’

मुरझाया रहा कमल | भाजपा की अगर बात करें तो राज्य गठन के बाद से हुए तीन विधानसभा चुनाव में जिन 11 विधानसभा सीटों पर भाजपा का कमल नहीं खिल पाया, उऩमें 7 विधानसभा सीटें यमुनोत्री, टिहरी, देवप्रयाग, नरेंद्रनगर, धर्मपुर, पौड़ी और चकराता विधानसभा गढ़वाल की हैं तो 4 सीटें द्वाराहाट, जसपुर, धारचूला और जागेश्वर कुमाऊं मंडल की हैं।

यहां आज तक नहीं खिला ‘कमल’, तो यहां खाली रहा कांग्रेस का ‘हाथ’

हाथ को नहीं मिला साथ | वहीं कांग्रेस की अगर बात करें तो राज्य गठन के बाद से हुए तीन विधानसभा चुनाव में जिन 8 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के हाथ को जनता का साथ नहीं मिला, उनमें 5 विधानसभा सीटें देहरादून कैंट, हरिद्वार, रानीपुर, यमकेश्वर और भगवानपुर विधानसभा गढ़वाल की हैं तो 3 विधानसभा सीटें काशीपुर, डीडीहाट और गदरपुर विधानसभा कुमाऊं मंडल की हैं।

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भाजपा-कांग्रेस दोनों की नो एंट्री | इन सब के अलावा राज्य की एक विधानसभा सीट मंगलौर विधानसभा ऐसी भी है जहां पर राज्य गठन के बाद हुए तीनों विधानसभा चुनाव में राज्य के दोनों प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस दोनों की नो एंट्री रही।

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बहरहाल इस बार के चुनाव में सरकार बनाने का दम भर रही भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों को अगर सत्ता हासिल करनी है तो इन सीटों पर खास फोकस करना होगा। ये इसलिए भी क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा सिर्फ एक सीट की वजह से सरकार बनाने से चूक गई थी तो भाजपा से एक विधानसभा सीट ज्यादा आने के कारण कांग्रेस सरकार बनाने में सफल रही थी।

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