इत्तेफाक या बदकिस्मती, जीतेंगे अजय भट्ट तो हारेगी भाजपा !

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इत्तेफाक या बदकिस्मती, जीतेंगे अजय भट्ट तो हारेगी भाजपा !

चुनाव जीतने के बाद हर नेता की चाहत होती है कि वो सरकार में रहे, सत्ता में भागीदार बने लेकिन उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट के साथ ऐसे नहीं हो पाया है। अब ख़बरें एक क्लिक पर इस लिंक पर क्लिक कर Download करें Mobile App –https://play.google.com/store/apps/details?id=app.uttarakhandpost भट्ट के साथ ये अजब इत्तेफाक रहा या फिर


इत्तेफाक या बदकिस्मती, जीतेंगे अजय भट्ट तो हारेगी भाजपा !

चुनाव जीतने के बाद हर नेता की चाहत होती है कि वो सरकार में रहे, सत्ता में भागीदार बने लेकिन उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट के साथ ऐसे नहीं हो पाया है।  अब ख़बरें एक क्लिक पर इस लिंक पर क्लिक कर Download करें Mobile App –https://play.google.com/store/apps/details?id=app.uttarakhandpost

भट्ट के साथ ये अजब इत्तेफाक रहा या फिर इसे उनकी बदकिस्मती कहें, जब-जब अजय भट्ट खुद चुनाव जीते, तब-तब उऩकी पार्टी सत्ता से दूर रही। वहीं जब-जब अजय भट्ट चुनाव हारे, तब-तब उनकी पार्टी ने सत्ता हासिल की।

उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष अजय भटट ने उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से अब तक सभी चुनाव लड़े हैं। 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में रानीखेत विधानसभा सीट से अजय भट्ट ने जीत हासिल की लेकिन उनकी पार्टी भाजपा सत्ता हासिल नहीं कर पाई और राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी।

2007 के विधानसभा चुनाव में अजय भट्ट एक बार फिर से रानीखेत विधानसभा सीट से ही मैदान में थे लेकिन इस बार भट्ट चुनाव हार गए। लेकिन इस बार उनकी पार्टी भाजपा ने बहुमत हासिल किया और राज्य में भाजपा की सरकार बनी।

2012 में विधानसभा चुनाव में अजय भट्ट रानीखेत विधानसभा से चुनाव तो जीत गए लेकिन इस बार उनकी पार्टी कांग्रेस से एक सीट पीछे रह गई और राज्य में इस बार कांग्रेस की सरकार बनी।

राज्य गठन के बाद से चौथे विधानसभा चुनाव में अब एक बार फिर अजय भट्ट अपनी पारंपरिक रानीखेत विधानसभा सीट से ही चुनाव मैदान में हैं। अजय भट्ट को इस बार अपनी जीत का पूरा भरोसा तो है ही साथ ही वे दावा करते हैं कि इस बार उनकी पार्टी भाजपा भी पूर्ण बहुमत से उत्तराखंड में अपनी सरकार बनाएगी। हालांकि रानीखेत से मिल रही खबरें बता रही हैं कि इस सीट पर अजय भट्टे इस बार बुरी तरह फंसे हुए हैं। पार्टी के ही बागी प्रमोद नैनवाल ने उनकी जीत की राह में कांटे बोने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

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बहरहाल अजय भट्ट का दावा सही साबित होता है या फिर राज्य गठन के बाद से चला आ रहा अजीब इत्तेफाक या कहें भट्ट की बदकिस्मती उनका पीछा नहीं छोड़ेगी, इसका फैसला तो राज्य की जनता ने ईवीएम में कैद कर दिया है। सबको इंतजार है 11 मार्च का जब चुनावी नतीजे ईवीएम से बाहर आएंगे और तस्वीर खुद-ब-खुद शीशे की तरह साफ हो जाएगी।  अब ख़बरें एक क्लिक पर इस लिंक पर क्लिक कर Download करें Mobile App –https://play.google.com/store/apps/details?id=app.uttarakhandpost

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