जैन मुनि तरुण सागर का निधन, कड़वे प्रवचन के लिए थे मशहूर

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जैन मुनि तरुण सागर का निधन, कड़वे प्रवचन के लिए थे मशहूर

नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) शनिवार को सुबह जैन मुनि तरुण सागर का निधन हो गया। पूर्वी दिल्ली के कृष्णा नगर इलाके में स्थित राधापुरी जैन मंदिर में सुबह करीब 3 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। बता दें कि 51 वर्षीय जैन मुनि लंबे समय से बीमार चल रहे थे। शनिवार को ही गाजियाबाद के


नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) शनिवार को सुबह जैन मुनि तरुण सागर का निधन हो गया। पूर्वी दिल्ली के कृष्णा नगर इलाके में स्थित राधापुरी जैन मंदिर में सुबह करीब 3 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। बता दें कि 51 वर्षीय जैन मुनि लंबे समय से बीमार चल रहे थे। शनिवार को ही गाजियाबाद के मुरादनगर स्थित तरुणसागरम में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

जैन समाज में खासे लोकप्रिय रहे तरुण सागर बीते काफी दिनों से पीलिया से पीड़ित थे। करीब 20 दिनों पहले उन्हें इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के बावजूद स्वास्थ्य में सुधार न होने पर उन्होंने अपना इलाज बंद करा लिया था। कुछ दिनों से वह राधापुरी जैन मंदिर में ही संथारा कर रहे थे। संथारा जैन धर्म की वह परंपरा है, जिसके तहत संत मृत्यु तक अन्न त्याग दिया जाता है।

मध्य प्रदेश में 1967 में जन्मे तरुण सागर महाराज का वास्तविक नाम पवन कुमार जैन था। जैन संत बनने के लिए उन्होंने 8 मार्च, 1981 को घर छोड़ दिया था। उन्हें हरियाणा विधानसभा में भी प्रवचन के लिए बुलाया गया था। दिगंबर जैन मुनि को उनके प्रवचनों के लिए जाना जाता है। ‘कड़वे प्रवचन’ के नाम से समाज को वह संदेश देते थे। वह समाज और राष्ट्र जीवन के अहम मुद्दों पर तीखी शब्दों में अपनी राय दिया करते थे।

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