जानिए क्या हरिद्वार जिले में कमाल कर पाएंगे मुख्यमंत्री रावत ?

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जानिए क्या हरिद्वार जिले में कमाल कर पाएंगे मुख्यमंत्री रावत ?

मुख्यमंत्री हरीश रावत इस बार दो विधानसभा सीटों से चुनावी ताल ठोक रहे हैं। रावत ने हरिद्वार जिले की हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा से नामांकन दाखिल किया है तो ऊधम सिंह नगर की किच्छा विधानसभा सीट से भी पर्चा भरा है। पहली कड़ी में आज हम बात करते हैं हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट की। अब ख़बरें


जानिए क्या हरिद्वार जिले में कमाल कर पाएंगे मुख्यमंत्री रावत ?

मुख्यमंत्री हरीश रावत इस बार दो विधानसभा सीटों से चुनावी ताल ठोक रहे हैं। रावत ने हरिद्वार जिले की हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा से नामांकन दाखिल किया है तो ऊधम सिंह नगर की किच्छा विधानसभा सीट से भी पर्चा भरा है। पहली कड़ी में आज हम बात करते हैं हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट की।

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हरिद्वार जिले में 11 विधानसभा सीटें हैं। ये विधानसभा सीटें हैं हरिद्वार, भेल-रानीपुर, ज्वालापुर, भगवानपुर, झबरेड़ा, पिरान कलियर, रुड़की, खानपुर, मंगलौर, लक्सर और हरिद्वार ग्रामीण।

हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट से चुनावी ताल ठोकने के पीछे हरीश रावत का मकसद है कि इन सभी 11 सीटों पर कांग्रेस की जीत का परचम फहराया जाए।

मुख्यमंत्री ने बताई किच्छा और हरिद्वार से चुनाव लड़ने की असली वजह

2012 में हरिद्वार जिले की 11 सीटों की स्थिति | हरिद्वार जिले में किसका रहा  इन सीटों की वर्तमान स्थिति देखें तो साफ होता है कि इन 11 विधानसभा सीटों में से 2012 में कांग्रेस सिर्फ तीन विधानसभा सीटें ही जीत पाई थी। इनमें पिरान कलियर से फुरकान अहमद, खानपुर से कुंवर प्रणब चैंपियन और रुड़की से प्रदीप बत्रा ने जीत दर्ज की थी। इनमें से भी चैंपियन और बत्रा कांग्रेस से बगावत कर चुके हैं और भाजपा के टिकट पर खानपुर और रुड़की सीट से मैदान में हैं। वहीं इनमें से एक सीट भगवानपुर विधानसभा कांग्रेस ने उपचुनाव में जीती थी। वहीं जिले की 11 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 2012 में 5 विधानसभा सीटों में जीत दर्ज की थी जबकि तीन सीटों पर बसपा ने जीत का परचम फहराया था।

जानिए क्या हरिद्वार जिले में कमाल कर पाएंगे मुख्यमंत्री रावत ?

त्रिकोणीय रहा था मुकाबला | हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर 2012 में भाजपा के यतीश्वरानंद चुनाव जीते थे, जो इस बार फिर से भाजपा के टिकट में मैदान में हैं और हरीश रावत को चुनौती दे रहे हैं। 2012 में इस सीट पर भाजपा-कांग्रेस और बसपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था लेकिन भाजपा के यतीश्वरानंद ने आखिरकार कांग्रेस के इरशाद अली को 3875 वोटों से हराकर यहां जीत हासिल की थी। वहीं बसपा इस सीट पर तीसरे नंबर पर रही था।

जानिए क्या हरिद्वार जिले में कमाल कर पाएंगे मुख्यमंत्री रावत ?

आंकड़े बताते हैं कि इस सीट पर चुनावी ताल ठोककर मुख्यमंत्री हरीश रावत भले ही पूरे जिले की 11 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को मजबूत करने की कोशिश में जुटे हैं लेकिन हकीकत तो ये है कि इस सीट पर खुद मुख्यमंत्री को त्रिकोणीय मुकाबले से जूझना पड़ सकता है।

जानिए क्या हरिद्वार जिले में कमाल कर पाएंगे मुख्यमंत्री रावत ?

हरिद्वार जिले में पीछले विधानसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर कमजोर नजर आ रही कांग्रेस को मुख्यमंत्री हरीश रावत के खुद यहां से लड़ने से जिले की सीटों पर इसका थोड़ा बहुत प्रभाव पड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन ये प्रभाव कांग्रेस की बड़ी जीत में बदल पाएगा ये तो चुनावी नतीजे ही बताएंगे, फिलहाल रावत के यहां से ताल ठोकने से इस बार हरिद्वार जिले की सभी 11 सीटों पर चुनावी जंग रोचक होने की उम्मीद है।

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