पूर्ण बहुमत का दावा कर रही है BJP, लेकिन क्या अजय भट्ट जीत पाएंगे ?
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए मतदान के बाद भारतीय जनता पार्टी सत्ता परिवर्तन का दावा तो कर रही है लेकिन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट खुद अपनी ही विधानसभा सीट पर अपने पुराने सिपाही की चुनौती का सामना कर रहे हैं। अब ख़बरें एक क्लिक पर इस लिंक पर क्लिक कर
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए मतदान के बाद भारतीय जनता पार्टी सत्ता परिवर्तन का दावा तो कर रही है लेकिन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट खुद अपनी ही विधानसभा सीट पर अपने पुराने सिपाही की चुनौती का सामना कर रहे हैं। अब ख़बरें एक क्लिक पर इस लिंक पर क्लिक कर Download करें Mobile App –https://play.google.com/store/apps/details?id=app.uttarakhandpost
अजय भट्ट अपनी परंपरागत रानीखित विधानसभा सीट से मैदान में हैं लेकिन इस सीट पर टिकट के दावेदार रहे प्रमोद नैनवाल टिकट न मिलने से नाराज होकर निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं। नैनवाल के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ ताल ठोकने से अजय भट्ट की मुश्किलें इसलिए भी बढ़ गई हैं क्योंकि इस विधानसभा सीट का गणित बहुत करीबी जीत-हार का रहा है। मतलब इस सीट पर बागी को मिला एक-एक वोट अजय भट्ट की जीत की राह को मुश्किल बनाने का काम करेगा।
2012 में भट्ट इस सीट से जीते जरुर थे लेकिन बहुत मामूली अंतर से। भट्ट ने कांग्रेस के करन मेहरा को इस सीट पर 78 वोटों से मात दी थी। भट्ट को 14089 वोट मिले थे तो कांग्रेस के करण मेहरा को 14011 वोट मिले थे।
2007 के चुनाव में अजय भट्ट इस सीट से 205 वोट के मामूली अंतर से चुनाव हार गए थे। कांग्रेस के करन माहरा को 13503 वोट मिले थे तो अजय भट्ट ने 13298 वोट हासिल किए थे।
राज्य गठन के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में अजय भट्ट ने यहां से जीत दर्ज की थी। अजय भट्ट ने कांग्रेस के करन माहरा को 2302 मतों के अंतर से हराया था। भट्ट को 10199 वोट मिले थे तो कांग्रेस के माहरा को 7897 मत मिले थे।
इस सीट पर पिछले तीन विधानसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि यहां पर मुकाबला हर बार कांटे का रहा है। 2002 और 2012 में भट्ट यहां से विधायक जरुर चुने गए लेकिन हर बार जीत का अंतर बहुत करीबी ही रहा। इसी तरह जब 2007 में अजय भट्ट इस सीट से चुनाव हारे थे तो भी हार का अंतर करीबी ही था। ऐसे में इस बार भाजपा अध्य़क्ष के सामने एक मजबूत बागी का मैदान में ताल ठोकना उनकी जीत की राह में कांटे बोने काम कर रहा है।
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