गंगोत्री में बड़ा खतरा, भूस्खलन से बनी नई झील, प्रशासन अलर्ट
उत्तरकाशी [उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो] गंगोत्री ग्लेशियर क्षेत्र के पास भारी भूस्खलन की वजह से नई झील के निर्माण का अंदेशा लगाया जा रहा है। इसके चलते स्पेशलिस्ट टीम जिसमें स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (एसडीआरएफ), नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ माउंटेनयरिंग ऐंड फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के लोग शामिल हैं, को प्रभावित क्षेत्र में जाकर जांच करने के लिए कहा
उत्तरकाशी [उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो] गंगोत्री ग्लेशियर क्षेत्र के पास भारी भूस्खलन की वजह से नई झील के निर्माण का अंदेशा लगाया जा रहा है। इसके चलते स्पेशलिस्ट टीम जिसमें स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (एसडीआरएफ), नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ माउंटेनयरिंग ऐंड फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के लोग शामिल हैं, को प्रभावित क्षेत्र में जाकर जांच करने के लिए कहा गया।
सूत्रों के अनुसार भारत-चीन बॉर्डर के पास स्थित गंगोत्री ग्लेशियर पर भारी भूस्लखन की सैटेलाइट तस्वीर जारी हुई थी जिसके बाद स्पेशलाइज़्ड टीम को मामले की जांच के लिए भेजा गया है। यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि भूस्खलन की वजह वहां फ्रेश वॉटर बॉडी का निर्माण हो गया है जो ग्लेशियर पर असर डाल सकता है।
इसी तरह अक्टूबर महीने में गंगोत्री से गोमुख तक पर्यावरणविद और वैज्ञानिकों द्वारा की गई पदयात्रा में सामने आया था कि पहाड़ों पर भूस्खलन की वजह से गिरे मलबे के कारण उत्तरकाशी स्थित गंगोत्री के गोमुख मार्ग में गंगा नदी का जलमार्ग प्रभावित हो रहा है। इस दौरान पाया गया था कि 13,200 फीट (4,023 मी) में स्थित ग्लेशियर में न केवल दरारें पड़ गई हैं बल्कि यहां झीलनुमा ढांचा भी बन गया है। यहीं से गंगा का उद्गम होता है।
वैज्ञानिकों ने यह भी पता किया कि झील के निर्माण के कारण अब नदी का बहाव ग्लेशियर के बाईं तरफ से होता है जबकि पहले यह सीधी बहती थी। उत्तरकाशी के डीएम आशीष चौहान ने बताया, ‘सोमवार को गंगोत्री ग्लेशियर क्षेत्र में भारी भूस्खलन की सैटेलाइट तस्वीर जारी होने के बाद यह तय किया गया कि टीम को भेजकर विस्तृत जानकारी प्राप्त की जाएगी।’
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