उत्तराखंड के ‘भगत दा’ के इस फैसले ने बदल दी महाराष्ट्र की सियासी तस्वीर

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उत्तराखंड के ‘भगत दा’ के इस फैसले ने बदल दी महाराष्ट्र की सियासी तस्वीर

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) महाराष्ट्र में चुनावी नतीजे आने के 19 दिन बाद से जारी उथल पुथल पर उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाले राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले ने ब्रेक लगा दिया। उत्तराखंड की सियासत में भगत दा के नाम से मशहूर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश गृह


उत्तराखंड के ‘भगत दा’ के इस फैसले ने बदल दी महाराष्ट्र की सियासी तस्वीर

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) महाराष्ट्र में चुनावी नतीजे आने के 19 दिन बाद से जारी उथल पुथल पर उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाले राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले ने ब्रेक लगा दिया।

उत्तराखंड की सियासत में भगत दा के नाम से मशहूर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश गृह मंत्रालय को भेज दी। राज्यपाल ने रिपोर्ट में कहा था कि सरकार बनाने की सारी कोशिशें की गयीं लेकिन कोई संभावना नहीं दिखी इसलिए राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा की जाती है।

राज्यपाल की सिफारिश के फौरन बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कैबिनेट की इमरजेंसी बैठक बुलाई। राज्यपाल की सिफारिश पर कैबिनेट ने मुहर लगाई और शाम तक राष्ट्रपति ने भी मंजूरी दे दी। इस तरह महाराष्ट्र में पिछले 72 घंटे से जारी सियासी ड्रामे का पर्दा गिर गया।

कौन हैं भगत सिंह कोश्यारी? | उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी अपने बेहद सादे जीवन के लिए जाने जाते हैं। 77 साल के कोश्यारी उत्तराखंड के बागेश्वर जिले कहने वाले हैं। साल 1997 में अभिवाजित उत्तर प्रदेश में एमएलसी रहे भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड के बनने के बाद नित्यानंद स्वामी की सरकार में मंत्री रहे। इसके बाद राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी ने बड़ा फैसला लेते हुए उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया। कोश्यारी 30 अक्टूबर 2001 से लेकर एक मार्च 2002 तक मुख्यमंत्री रहे। कोश्यारी ने इसी साल सितंबर में महाराष्ट्र के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाली थी।

उत्तराखंड के ‘भगत दा’ के इस फैसले ने बदल दी महाराष्ट्र की सियासी तस्वीर

कोश्यारी ने अंग्रेजी में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। कोश्यारी अल्मोड़ा में अपने कॉलेज के दिनों से ही छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए थे। साल 1961-62 में कोश्यारी कॉलेज छात्र संघ का चुनाव लड़े और जनरल सेक्रेटरी चुने गए। कोश्यारी को नजदीक से जानने वाले उन्हें ‘भगत दा’ कहकर संबोधित करते हैं।

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