नैनीताल | जी हां, तालों में नैनीताल बाकी सब तलैया

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नैनीताल | जी हां, तालों में नैनीताल बाकी सब तलैया

नैनीताल (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) दोस्तों के साथ घूमने-फिरने का प्लान हो, वीकेंड पर फैमिली के साथ मस्ती करनी हो या हनीमून पर जाने का इरादा, सबसे पहले नैनीताल का नाम ही जेहन में आता है। जहां गर्मियों में नैनीताल की खूबसूरती और ठंडा मौसम सैलानियों को अपनी ओर खींच लाते हैं वहीं सर्दियों में बर्फबारी और विंटर


नैनीताल (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) दोस्तों के साथ घूमने-फिरने का प्लान हो, वीकेंड पर फैमिली के साथ मस्ती करनी हो या हनीमून पर जाने का इरादा, सबसे पहले नैनीताल का नाम ही जेहन में आता है।

जहां गर्मियों में नैनीताल की खूबसूरती और ठंडा मौसम सैलानियों को अपनी ओर खींच लाते हैं वहीं सर्दियों में बर्फबारी और विंटर स्पोर्ट्स के दीवानों के लिए नैनीताल स्वर्ग बन जाता है। हरे-भरे पहाड़ों के बीच बसा नैनीताल शहर पूरे साल सैलानियों की आवाजाही से गुलजार रहता है।

नैनीताल का इतिहास | नैनीताल की खोज सन 1841 में एक अंग्रेज चीनी (शुगर) व्यापारी ने की। बाद में अंग्रेजों ने इसे अपनी आरामगाह और स्वास्थ्य लाभ लेने की जगह के रूप में विकसित किया। नैनीताल तीन ओर से घने पेड़ों की छाया में ऊंचे-ऊंचे पर्वतों के बीच समुद्रतल से 1938 मीटर की ऊंचाई पर बसा है।

नैनीताल में घूमने लायक जगहें

नैनी झील | नैनीताल में मुख्य आकर्षण का केंद्र यहां की खूबसूरत झीलें हैं। यहां कई झीलें हैं, जिसके कारण इसे झीलों का शहर भी कहा जाता है। नैनी झील इनमें प्रमुख है। नैनी झील के नाम पर ही इस शहर का नाम नैनीताल पड़ा।

तल्लीताल और मल्लीताल | नैनीताल का मल्ला भाग (ऊपरी हिस्सा) मल्लीताल और नीचला भाग तल्लीताल कहलाता है। मल्लीताल में एक फ्लैट खुला मैदान है और यहां पर खेल तमाशे होते रहते हैं। इस फ्लैट पर शाम होते ही सैलानी इकट्ठे हो जाते है। भोटिया मार्केट में गर्म कपड़े, कैंडल और बेहतरीन गिफ्ट आइटम मिलते हैं।

रोप-वे या ट्रॉली | मल्लीताल से स्नोव्यू तक रोपवे का आनंद लिया जा सकता है। यहां सैलानी दो ट्रॉली से आसमानी सैर करके नैनीताल के खूबसूरत नजारों का लुत्फ लेते हैं। एक ट्रॉली में 10 सवारियों के अलावा 1 ऑपरेटर के खड़े होने की जगह होती है। यह सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक सवारी के लिए तैयार रहती है।

स्नो व्यू | स्नो व्यू की यात्रा उन सभी नैनीताल आगंतुकों के लिए जरूरी है जो नंदा देवी का भव्य दृश्य देखना चाहते हैं, जो भारत का दूसरा सर्वोच्च शिखर है। यह एक पहाड़ी क्षेत्र है और समुद्र के स्तर से 2235 मीटर (7450 फीट) ऊपर है।

नैना देवी मंदिर  | नैनी झील के उत्तरी किनारे पर नैना देवी का मंदिर स्थित है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि, जब भगवान शिव शोकाकुल होकर माता सती की मृत देह को कैलाश पर्वत लेकर जा रहे थे, उस दौरान माता सती के अंग कई जगह गिरते गए। नैनी झील में माता सती के नेत्र गिरे थे इसलिए यहां स्थित मंदिर में मां के नेत्रों को दर्शाया गया है।

चाइना पीक या नैनापीक | नैनीताल की सात चोटियों में 2611 मीटर ऊंची चाइना पीक सबसे ऊंची चोटी है। चाइना पीक की दूरी नैनीताल से लगभग 6 किलोमीटर है। इस चोटी से हिमालय की ऊंची-ऊंची चोटियों के दर्शन होते हैं।

लड़ियाकांटा | इस पर्वत श्रेणी की ऊंचाई 2481 मीटर है और यह नैनीताल से लगभग साढ़े पांच किलोमीटर दूर है। यहां से नैनीताल के ताल को देखना अपने आप में एक अनूठा अनुभव है।

नैनीताल चिड़ियाघर | नैनीताल का चिड़ियाघर बस अड्डे से करीब 1 किमी दूर है। इसका नाम उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी गोविंद बल्लभ पंत के नाम पर रखा गया है। जू हर सोमवार, राष्ट्रीय अवकाश और होली-दिवाली के मौके पर बंद रहता है।

कब जाएं | वैसे तो पर्यटक सालभर यहां आते रहते हैं लेकिन गरमियों में यहां का मौसम अधिक सुहावना होता है। हालांकि नैनीताल में मौसम पलपल बदलता रहता है।

कहां ठहरें | यहां हर तरह के होटल मौजूद हैं। इन के अलावा कई सरकारी गैस्ट हाउस भी हैं। आप अपनी जेब के अनुसार इनमें रह सकते हैं।

कैसे पहुंचे | नैनीताल में रेल और हवाई सेवाएं नहीं हैं, लेकिन एनएच 87 नैनीताल को पूरे देश से जोड़ता है.

रेलमार्ग | नजदीकी रेलवे स्टेशन यहां से सिर्फ 34 किमी दूर काठगोदाम में है। नई दिल्ली से आपको काठगोदाम के लिए रेलगाड़ियां आसानी से मिल जाएगी।

सड़क मार्ग | नैनीताल के लिए राज्य परिवहन की गाड़ियां दिन में हर समय उपलब्ध रहती हैं। आप चाहें तो शेयर टैक्सी से भी नेनीताल पहुंच सकते हैं। काठगोदाम स्टेशन के बाहर ही आपको टैक्सी मिल जाएगी।

एयरपोर्ट | अगर आप हवाई मार्ग से नैनीताल जाना चाहते हैं तो यहां का नजदीकी पंतनगर एयरपोर्ट करीब 55 किमी दूर है।

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