अब गंगोत्री और यमुनोत्री ग्लेशियर को भी जीवित व्यक्ति का दर्जा : हाईकोर्ट

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अब गंगोत्री और यमुनोत्री ग्लेशियर को भी जीवित व्यक्ति का दर्जा : हाईकोर्ट

नैनीताल हाईकोर्ट ने गंगा-यमुना के बाद अब गंगोत्री और यमुनोत्री ग्लेशियर को भी जीवित व्यक्ति यानि एक नागरिक के अधिकार दे दिए हैं। साथ ही उन्हें जीवित व्यक्ति जैसे मौलिक अधिकार प्रदान करते हुए कहा कि जो कोई भी इन प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। अब ख़बरें एक क्लिक


नैनीताल हाईकोर्ट ने गंगा-यमुना के बाद अब गंगोत्री और यमुनोत्री ग्लेशियर को भी जीवित व्यक्ति यानि एक नागरिक के अधिकार दे दिए हैं। साथ ही उन्हें जीवित व्यक्ति जैसे मौलिक अधिकार प्रदान करते हुए कहा कि जो कोई भी इन प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। अब ख़बरें एक क्लिक पर इस लिंक पर क्लिक कर Download करें Mobile App – उत्तराखंड पोस्ट

अदालत ने मुख्य सचिव उत्तराखंड, डायरेक्टर नमामि गंगे प्रोजेक्ट प्रवीण कुमार, लिंक एडवाइजर नमामि गंगे ईश्वर सिंह, महाधिवक्ता उत्तराखंड, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता व पर्यावरणविद एमसी मेहता को इनकी सुरक्षा के लिए नियुक्त किया है।

हाईकोर्ट ने शुक्रवार को प्रत्यावेदन पर सुनवाई के बाद 7 नए निर्देश जारी किए हैं। अदालत ने अपने आदेश में मुख्य सचिव को शहर, कस्बों व गांवों नदी और तालाब किनारे रह रहे लोगों को इस आदेश के बारे में प्रतिनिधित्व देकर जागरूक करने के लिए भी अधिकृत किया है। साथ ही केंद्र सरकार की गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए मंजूर किए गए 862 करोड़ जारी करने के लिए सराहना की है। कोर्ट ने अपने आदेश में यह सुनिश्चित करने को कहा है कि गंगा नदी में किसी भी दशा में सीवरेज न जाए। जो सीवर व अन्य गंदगी बहा रहे हैं, उन्हें सील कर दिया जाए।

कोर्ट के आदेश में ग्लेशियरों को जीवित व्यक्ति का दर्जा देने का निर्देश प्रमुख है। इसके साथ ही गंगा के किनारे प्रदूषण रहित श्मशान घाट बनाने के भी निर्देस दिए हैं। प्रस्तावित 50 में से 10 का निर्माण 8 हफ्ते में शेष का तीन माह में करने को कहा है। इसके अलावा हरिद्वार में गंगा के घाट में भिखारियों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के डीएम हरिद्वार के निर्देश दिए हैं। गंगा के लिए इंटर स्टेट काउंसिल के गठन के लिए 6 माह का समय दिया है।

अधिवक्ता ललित मिगलानी ने गंगा को प्रदूषण मुक्त करने को लेकर जनहित याचिका दायर की है। हाईकोर्ट ने 2 दिसंबर 16 को इस मामले में फैसला दिया था। इसका पालन नहीं होने पर केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के साथ ही प्रदेश के सभी जिलाधिकारी तलब किए थे। इसमें गंगा में प्रदूषण फैला रहे आश्रमों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों व उद्योगों को तत्काल प्रभाव से बंद करने के आदेश दिए थे। इधर गत दिवस याची ने पहले दिए आदेश के क्रियान्वयन में ढिलाई के साथ ही हिमालय सहित ग्लेशियरों को भी जीवित प्राणी का दर्जा दिए जाने को लेकर प्रार्थना पत्र दाखिल किया था।

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