चमकी बुखार ने उत्तराखंड में दी दस्तक, एम्स में एक मरीज की मौत, जानिए लक्षण और बचाव के तरीके

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चमकी बुखार ने उत्तराखंड में दी दस्तक, एम्स में एक मरीज की मौत, जानिए लक्षण और बचाव के तरीके

हरिद्वार (उत्तराखंड पोस्ट) बिहार के बाद चमकी बुखार (एक्यूट इंसेफेलाइटिस) ने उत्तराखंड में दस्तक दी है। हरिद्वार जिले में इससे एक व्यक्ति की मौत भी हुई है। सीएमओ डॉ. सरोज नैथानी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि हरिद्वार जिले में चमकी बुखार से यह पहली मौत है। अब विभाग ने भी मान लिया है


चमकी बुखार ने उत्तराखंड में दी दस्तक, एम्स में एक मरीज की मौत, जानिए लक्षण और बचाव के तरीके

हरिद्वार (उत्तराखंड पोस्ट) बिहार के बाद चमकी बुखार (एक्यूट इंसेफेलाइटिस) ने उत्तराखंड में दस्तक दी है। हरिद्वार जिले में इससे एक व्यक्ति की मौत भी हुई है। सीएमओ डॉ. सरोज नैथानी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि हरिद्वार जिले में चमकी बुखार से यह पहली मौत है। अब विभाग ने भी मान लिया है कि इस व्यक्ति की मौत डेंगू से नहीं, बल्कि चमकी बुखार से हुई है।

जानकारी के मुताबिक गुरुवार को तड़के काशीपुरा कोतवाली नगर क्षेत्र के रहने वाले 58 साल के बुजुर्ग को एम्स में उपचार के लिए भर्ती किया गया लेकिन उपचार के दौरान ही उन्होंने दम तोड़ दिया था।

क्या होता है चमकी बुखार ?

चमकी मानव मस्तिष्क से जुड़ी बीमारी है। हमारे मस्तिष्क में लाखों कोशिकाएं और तंत्रिकाएं होती हैं। इनके सहारे शरीर के अंग काम करते हैं। जब इन कोशिकाओं में सूजन या कोई अन्य दिक्कत आती है, तो इसे ही एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम यानी चमकी बुखार कहते हैं।

चमकी बुखार ने उत्तराखंड में दी दस्तक, एम्स में एक मरीज की मौत, जानिए लक्षण और बचाव के तरीके

जानिए इसके लक्षण

शुरुआत में इसमें तेज बुखार आता है। शरीर में ऐंठन शुरू हो जाती है। तंत्रिका तंत्र काम करना बंद कर देता है। इसमें ब्लड शुगर लो हो जाता है। बच्चे तेज बुखार की वजह से बेहोश हो जाते हैं और उन्हें दौरे भी पड़ने लगते हैं। जबड़े और दांत कड़े हो जाते हैं। बुखार के साथ ही घबराहट भी शुरू होती है और कई बार कोमा में जाने की स्थिति भी बन जाती है।

चमकी बुखार में क्या करें?

पानी पिलाते रहे, इससे उन्हें हाइड्रेट रहने और बीमारियों से बचने में मदद मिलेगी।-तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछें। पंखे से हवा करें या माथे पर गीले कपड़े की पट्टी लगाएं, ताकि बुखार कम हो सके। शरीर से कपड़े हटा लें और उसकी गर्दन सीधी रखें। डॉक्टर की सलाह के बाद पैरासिटामोल या अन्य सिरप दें। अगर मुंह से लार या झाग निकल रहा है तो उसे साफ कपड़े से पोछें, जिससे सांस लेने में दिक्कत न हो। बच्चों को लगातार ओआरएस का घोल पिलाते रहें। बेहोशी व दौरे आने की स्थिति में मरीज को हवादार जगह पर लिटाएं।

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