को-ऑपरेटिव बैंकों में नौकरी से निकाले जाएंगे ये कर्मचारी
देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) जिला और राज्य को-ऑपरेटिव बैंकों में काम कर रहे करीब 180 से अधिक आउटसोर्स और सेवा विस्तार वाले कर्मचारियों की नौकरी छूटने जा रही है। हिंदुस्तान की खबर के अऩुसार सहकारिता विभाग ने सभी को-ऑपरेटिव बैंकों को पत्र लिखकर आउटसोर्स और सेवानिवृत्त कर्मचारियों की सेवाएं खत्म करने के निर्देश दिए हैं। इसके
देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) जिला और राज्य को-ऑपरेटिव बैंकों में काम कर रहे करीब 180 से अधिक आउटसोर्स और सेवा विस्तार वाले कर्मचारियों की नौकरी छूटने जा रही है।
हिंदुस्तान की खबर के अऩुसार सहकारिता विभाग ने सभी को-ऑपरेटिव बैंकों को पत्र लिखकर आउटसोर्स और सेवानिवृत्त कर्मचारियों की सेवाएं खत्म करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद को-ऑपरेटिव बैंक प्रबंधन भी असमंजस में आ गया है। अधिकांश बैंकों ने कर्मचारियों की नियुक्ति खुद की आउटसोर्स समिति के जरिए की है। उनसे लिपिक, गार्ड, ड्राईवर समेत दूसरे कार्य लिए जा रहे हैं।
प्रदेश में 10 जिला को-ऑपरेटिव बैंकों की 180 से अधिक शाखाएं हैं। सभी जिला को-ऑपरेटिव बैंकों में आउटसोर्स के जरिए कुछ कर्मचारियों को रखा जा रहा है। इसके अलावा सेवानिवृत्त हो रहे कर्मचारियों को भी को-ऑपरेटिव बैंकों में दोबारा नौकरी देते हुए एडजस्ट किया गया है।
दरअसल अधिकांश जिला कोऑपरेटिव बैंकों में खुद की आउटसोर्स एजेंसी बना रखी है। इसी एजेंसी के जरिए बैंक में नौकरी करने वाले लोगों को भर्ती किया जाता है। को-ऑपरेटिव बैंकों में सालों से इसी तरह आउटसोर्स से भर्ती हो रहे लोगों को अंदरखाने स्थायी नौकरी पर रख लिया जाता है।
कोऑपरेटिव बैंक इंप्लाइज यूनियन उत्तरांचल के प्रदेश अध्यक्ष अंबादत्त पांडे का कहना है कि हम कर्मचारियों के साथ खड़े हैं। मगर आउटसोर्स के जरिए रखे गए अधिकांश कर्मचारियों की नियुक्ति बैक डोर से हुई है। हम चाहते हैं कि नियुक्तियों की जांच हो और सभी पात्र लोगों को नौकरी पर रखा जाए। सेवानिवृत्त कर्मियों के बदले नए लोगों को मौका मिलना चाहिए।
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