वीडियो | उत्तराखंड की इन तीन हस्तियों को पद्मभूषण, ऐसे बनाई अपनी अलग पहचान

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वीडियो | उत्तराखंड की इन तीन हस्तियों को पद्मभूषण, ऐसे बनाई अपनी अलग पहचान

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड की तीन हस्तियों को भारत सरकार पद्मभूषण पुरस्कार से नवाज़ा है। माउंट एवरेस्ट फतह कर अपने नाम का डंका बजाने वाली उत्तराखंड की बछेंद्री पाल को भारत सरकार पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया है। बछेंद्री पाल का जन्म उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले के एक गांव नकुरी में 24 मई, 1954


वीडियो | उत्तराखंड की इन तीन हस्तियों को पद्मभूषण, ऐसे बनाई अपनी अलग पहचान

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड की तीन हस्तियों को भारत सरकार पद्मभूषण पुरस्कार से नवाज़ा है। माउंट एवरेस्ट फतह कर अपने नाम का डंका बजाने वाली उत्तराखंड की बछेंद्री पाल को भारत सरकार पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया है।

बछेंद्री पाल का जन्म उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले के एक गांव नकुरी में 24 मई, 1954 को हुआ। शिक्षा पूरी करने के बाद बछेंद्री पाल ने नौकरी करने के बजाय ‘नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग’ कोर्स के लिए आवेदन कर दिया। यहां से बछेंद्री के जीवन को नई राह मिली।

बछेंद्री के लिए पर्वतारोहण का पहला मौक़ा 12 साल की उम्र में आया, जब उन्होंने अपने स्कूल की सहपाठियों के साथ 400 मीटर की चढ़ाई की। 1984 में भारत का चौथा एवरेस्ट अभियान शुरू हुआ। इस अभियान में जो टीम बनी, उस में बछेंद्री समेत 7 महिलाओं और 11 पुरुषों को शामिल किया गया था। इस टीम के द्वारा 23 मई 1984 को अपराह्न 1 बजकर सात मिनट पर 29,028 फुट (8,848 मीटर) की ऊंचाई पर ‘सागरमाथा (एवरेस्ट)’ पर भारत का झंडा लहराया गया। इस के साथ एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक क़दम रखने वाले वे दुनिया की 5वीं महिला बनीं।

अपनी गायिकी से लोगों के दिलों में छाप छोड़ जागर सम्राट कहलाने वाले लोकगायक प्रीतम भरतवाण को भारत सरकार पद्मश्री से नवाजा है।

प्रीतम भरतवाण को लोक संस्कृति और संगीत को विरासत में मिली. प्रीतम के पिता और दादा भी जागर गायक थे और उन्हें ढोल सागर का काफी ज्ञान था। मात्र 5 साल की उम्र से प्रीतम भरतवाण लोक संगीत को नई ऊचाईयों पर पहुंचा रहे हैं। उत्तराखंड की जागर कला को उन्होंने एक नया रुप और नया कलेवर दिया। पहाड़ की दम तोड़ती जागर विधा को उन्होंने अपनी जादुई आवाज में नई पहचान दी. केवल जागर ही नहीं बल्कि पहाड़ की संस्कृति,रीति रिवाज,परम्पराएं और त्यौहारों को अपनी आवाज में नई लोगों तक पहुंचाया।

उत्तराखंड के मशहूर फोटग्राफर अनूप साह को भी सरकार पदमश्री पुरस्कार से नवाजा है। अनूप साह दशकों से हिमालय और उसके सौंदर्य, पर्वतारोहण, जैव विविधता धर्म और संस्कृति आदि को अपने कैमरे में कैद करते आए हैं। इतना ही नहीं अनूप साह अपनी फोटोग्राफी का लोहा विदेशों में भी मनवा चुके हैं। अनूप साह द्वारा खींची गई करीब 1500 ऐसी तस्वीरें हैं, जिन्हें विश्व के किसी न किसी मंच पर सराहा गया है। अनूप साह की कैमरे में कैद तस्वीरें कई नेशनल और इंटरनेशनल एग्जीबिशन का हिस्सा बन चुकी है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने त्तराखंड की तीन हस्तियों को पद्मभूषण पुरस्कार पर उन्हें बधाई दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एवरेस्ट पर विजय हासिल करने वाली प्रथम भारतीय महिला बछेंद्री पाल जी को पद्मभूषण, उत्तराखंड के लोकगायक प्रीतम भरतवाण व फोटोग्राफर अनूप शाह जी को पद्मश्री सम्मान के लिए चुने जाने पर हार्दिक बधाई। इस बार कुल 112 लोगों को पद्म पुरस्कार से नवाजे जाने की घोषणा की गई है। नीचे क्लिक कर देखिए पूरी लिस्ट

किस किस को मिला पद्म सम्मान, जानने के लिए क्लिक करें

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